सदस्य:रविन्द्र प्रताप मिश्रा/प्रयोगपृष्ठ

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काशी यानि वाराणसी (बनारस)इस नगरी के विषय में जितना कहा जाए उतना कम ही है |बाबा विश्वनाथ की छत्रछाया में बसे इस शहर के कोतवाल बाबा काल भैरव है|यहाँ के गंगा घाटो के किनारे की मस्ती और अल्हंपन शायद ही कहे मिले शाम को गोलगप्पे का आनंद लक्सा पे सुबह में कचौरी गली की कचौरियो के साथ जलेबी और भोर में चौक के लक्ष्मी चाय वाले की चाय की चुश्कियो का आनंद कही और नहीं मिलेगा |कहा जाता है बनारस अत्यंत पुराना शहर है इसे मंदिरों और घाटो का भी शहर कहा जाता है|यहाँ आज भी कोतवाली थाने में मुख्य कुर्शी खली रह्की जाती है क्योकि उसपर काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव विराजमान रहते है|