सदस्य:महेश गुप्ता जौनपुरी

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( ऑसू )

        ये ऑसू तु यू ही बहना छोड़ दे

            दर्द दिल को समझा ले

      ऑखो को यू ही भिगाना छोड़ दे

   पलको को यू ही ना किया कर गिला

      हँस हँसकर जिया कर जिन्दगी

         ऑसू तेरी बहुत हैं किमती

       कद्र क्या जानेगें ये दुनिया वाले

    तेरे ऑसू को यू ही बहता झोड देगें

ये ऑखे भी ना जाने क्यो ओजल हो जाती हैं 

   दुःख में डुबे तो समन्दर हो जाती हैं 

कभी खुशी के कभी गम के ऑसू बनकर

      पलको को यू भिगाने आ जाती हैं 

        चल ढुढते हैं एक ऐसा किनारा

     जहाँ खुशियो का छिपा हो खजाना

    जो छोड़ जाते हैं ऑसू बहाने के लिए

   चल चलते हैं उनको जलाने के लिए 

    अपने ऑसू को छिपा खुशीया लाये

   पलको को मनाकर एक गीत गुनगुनाये

            महेश गुप्ता जौनपुरी 

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