सदस्य:पुष्पेंद्र कनौजिया

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

भारतीय मुद्रा या खोटे सिक्के, एक चिंतनीय विषय

लेखक - पुष्पेंद्र कनौजिया

पिछले कुछ दिनों से भारतीय मुद्रा की हालत कुछ ऐसी हो गई है जैसे कि फुटपाथ पर पड़े कंकड़-पत्थर जिनका कोई तलाशी ही नहीं है । यह भी हमारे भारतवर्ष मे अपनी ही भारतीय मुद्रा को हीन भावना से देखने का एक नया अंदाज देखने को मिला । भारतीय मुद्रा कुछ सिक्कों को हम खोटा क्यों मानते हैं । यह एक चिंतनीय विषय है आइए बात करते हैं रुपया पर हम बात करते हैं 1 रुपये के सिक्के की जो कि एक मजाक का विषय बन कर रह गया । हमारे भारत के लोग ही इसका मजाक बनाने में पीछे नहीं हटे । 1 रुपये का सिक्का 1962 मैं चलन में आया इस सिक्के पर एक तरफ गेहूं की बाली और एक लिखा हुआ था । वहीं दूसरी तरफ अशोक लाट का सिंबल बना हुआ था। यह सिक्का अब भी बाजार में प्रचलन में है। दूसरा नया 1 रुपये का सिक्का बाजार में आया वह सिक्का कुछ इस तरीके से था जिसमें एक तरफ अंगूठा और एक लिखा हुआ था वहीं दूसरी तरफ अशोक की लाट छपी थी इसी पर हमारे भारतीय नागरिकों ने चुटकुला सा बना दिया था कि पहले रुपया पर गेहूं की बाली छपा हुआ करती थी तो उससे अनाज मिला करता था । आज स्थिति यह है रुपया पर अंगूठा छपा है इसलिए रुपए में कुछ नहीं मिलता। यह संवाद मैंने कई भारतीय नागरिकों के मुख से सुना है। मुझे पीड़ा यह नहीं हुई कि हमारी भारतीय मुद्रा को लोगों ने ऐसा कहा लेकिन मुझे पीड़ा तब हुई जब भारतीय नागरिक खुद अपनी भारतीय मुद्रा पर हंसी मजाक के रूप में रुपया को सामने लाते हैं। अब हाल यह है कि 1 रुपये का एक और नया सिक्का निकला जो पहले के मुताबिक उन सिक्कों से छोटा है इस पर एक तरफ कमल के फूल व 1 रुपये छपा है वहीं दूसरी तरफ अशोक की लाट छपी है यह सिक्का बाजार में कुछ दिनों तक ही चल पाया लेकिन रिजर्व बैंक का कहना है यह 1 रुपये का छोटा सिक्का नकली नहीं है। लेकिन हमारा भारतीय समाज हमारी भारतीय मुद्रा को एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए ठोकर मारता है । दुकानदार कहता है सिक्का ग्राहक नहीं लेता वही ग्राहक का कहना है दुकानदार हमसे 1 रुपये का छोटा सिक्का लेने से इनकार कर देते हैं ।यह बड़ी विडंबना की बात है। हमारी भारतीय मुद्रा अभी 1 रुपये के छोटे सिक्के पर ही असमंजस में है । आप अगर गौरतलब से देखेंगे कहीं ना कहीं बस स्टेशन, अस्पतालों के सामने किसी भी स्थान पर कंकड़ पत्थर की तरह 1 रुपये के छोटे सिक्के जो कि भारतीय मुद्रा है । अपमानजनक तरीके से फेंक दिए जाते हैं । वहीं रिजर्व बैंक बस इतना ही कह पाती है कि यह सिक्का नकली नहीं है । वही दुकानदारों का यह भी कहना है कि क्षेत्रीय बैंक के सिक्का लेने से मना कर देती है इसलिए सिक्का लेने से थोड़ा डर सा लगता है । यही दुर्दशा हमारे 10 रुपये के सिक्के पर भी हुई थी । उसमें यह सामने आया था कि अगर 10 रुपये में ऊपर 10 पत्तियां बनी है व रुपए का सिंबल बना हुआ है । तो वहां सिक्का असली है। अगर उस सिक्के पर 15 पत्ती व रुपए का सिंबल नहीं बना है । तो वह सिक्का नकली है। इसको भी रिजर्व बैंक ने अफवाह बताते हूए साफ कर दिया की यह बिल्कुल निराधार बात है । क्योंकी यह 15 पत्तियों वाला सिक्का है वह पहली करेंसी है ।इस करेंसी में कुछ सुधार करके दूसरा सिक्का बनाया गया उसमें 10 पत्तियां और रुपये का सिंबल भी बना दिया गया । और यह दोनों सिक्का पूर्णता असली है। फिर भी भारतीय नागरिकों में अभी पूर्ण तरीके से जागरूकता नहीं है। अब भी कुछ नागरिक इस सिक्के को लेने से इनकार कर देते हैं । हमारे भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 8 नवंबर 2017 को शाम 8:00 बजे टेलीविजन के माध्यम से यह बताया था। की 500 और 1000 की करेंसी मध्यरात्रि से वैध नहीं रह जाएगी। जिस के उपरांत आई नई करेंसी 500 और 2000 के नोट के रूप में उपलब्ध कराई गई लेकिन हमारे भारतीय नागरिकों ने उसका भी मजाक उड़ाने में पीछे नहीं हटे उन नोटों को चूरन के नोट बताते हुए भारतीय मुद्रा का मजाक उड़ाया गया । यह है हमारे भारतीय लोग जो कि अपनी मुद्रा पर ही मजाक बनाते हैं। और चाहते हैं कि सभी देशों से हमारे रुपए का स्तर ऊंचा हो जाए। कैसे ऊंचा हो जाएगा । जब आप ही उस करेंसी को हीन भावना से देखते हैं।

        अगर सभी भारतीय एक दृढ़ निश्चय कर लें की हम लोग अपनी भारतीय मुद्रा का अपमान वह मजाक नहीं उड़ाएंगे अगर कोई दूसरे देश का व्यक्ति भी हमारी करेंसी के लिए अपमानजनक कहता है । तो हम लोग उसका मुंह तोड़ जवाब देने के लिए जिस दिन सक्षम हो जाएंगे मुझे लगता है।  उस दिन से हम अपने को भारतीय कहने में गर्व महसूस करेंगे । जब हम अपनी ही करेंसी को अपने ही रुपया को मजाकिया अंदाज में पेश करते हैं । इस तरीके से यह नोट तो चूर्ण वाले नोट है। इससे आप उन नोटों का नहीं अपनी भारतीय मुद्रा का अपमान कर रहे हैं । मैं भारत वासियों को एक संदेश देना चाहता हूं कि कृपया अपनी भारतीय मुद्रा को सम्मान दीजिए। और इसे यह कहकर अपमानित मत कीजिए कि  'यह सिक्का नहीं चलेगा '। यह एक चिंतनीय बात है और यह आम बात हो गई है। हर किसी के मुख से यही वाक्य सुनने को मिलता है। जब कोई किसी दूसरे को अपनी भारतीय मुद्रा का सिक्का देता है।
        और हम आज शपथ लेते हैं। कि हम भारतीय मुद्रा का किसी भी रुप में अपमान व मजाक नहीं उड़ाएंगे। इस विषय पर सरकार को योजना निकालनी चाहिए। 
       और जिस तरह माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 8 नवंबर 2017 को शाम 8:00 बजे टेलीविजन पर भाषण देकर 500 व 1000 की करेंसी बंद कराई थी । उसी तरीके से अपनी भारतीय मुद्रा के कुछ सिक्को को चलन में लाने के विषय में कुछ वक्तव्य कहें। भारत की जनता को जागरूक करें जिससे छोटे तबके के व्यक्तियों को लाभ पहुंचेगा। और कोई भारतीय यह कहने से बचेगा थी भैया यह सिक्का नहीं चलेगा । 
  यहां सिक्का चले या ना चलने की बात तो अलग है लेकिन कुछ भारतीयों के मुंह से 500 और 2000 की करेंसी के लिए जो चूरन वाले नोट का संवाद आया तो मुझे थोड़ा सा खराब लगा । क्योंकि जो अपने देश की करेंसी को चूरन वाला नोट कह दे मुझे नहीं लगता वह सच्चा भारतीय है। आज तक मैंने किसी भी देश की मुद्रा को लेकर किसी भी देश के नागरिक को यह कहते हुए नहीं देखा कि हमारी मुद्रा में कमी है । लेकिन भारतवासियों के मुख से रोज कहीं न कहीं मुद्रा में कमी को लेकर बहस होती रहती है। हमारा आपसे निवेदन है कि कृपया अपनी भारतीय मुद्रा को पहचानो व दूसरे देश वासियों की तरह अपनी भी भारतीय मुद्रा का सम्मान करें।


                                         पुष्पेन्द्र कनौजिया पुत्र श्री स्वर्गीय विद्याधर कनौजिया अमर उजाला रिपोर्टर
ग्राम पिपरिया धनी
तहसील मोहम्मदी 

जिला लखीमपुर खीरी