सदस्य:पुजारी अन्नाराम जी धतरवाल

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पुजारी अन्नारामजी की कथा:

पुजारी अन्नाराम जी का जन्म संवत 2022 आसोद सुदी बीज ने वार मंगलवार के दिन हुआ था गोत्र चौहान

वन्स जाति जाट धतरवाल पररवार दादा पोता कुल में जन्म लिया दादा मोटाराम जी पिता चुनाराम जी माता

जमना के घर जन्म लिया और 6 भाई 4 बहनों के साथ में बडे प्रेम से रहे और बाप जी के ससुराल नांदिया

कला जाट जाति थोरी पररवार में सम्बन्ध किया सुसरा शेरा राम जी सासु गंगा देवी के घर बेटी रूपी देवी से

शादी की बाप जी की शादी छोटी उम्र में ही हुई और कक्षा पांचवी तक बाप जी ने पढाई की | पढाई में कम

रुचि रखते थे और बच्चों से प्रेम रखते थे| बाप जी ने एक लडका तीन लडकियों को जन्म दिया तत्पश्चात

बापजी जगदंबा की सेवा करते थे विक्रम संवत 2046 की साल के बाद से जगदंबा की पुजा शुरू की, जगदंबा

की पूजा करते करते बापजी गायों और भेड बकररयां को भी चराते थे| और खेती बाडी का काम भी किया करते

थे 1 दिन बाप जी के शरीर में गडबड़ हो जाने के कारण हॉस्पिटल गए उस समय बाप जी अनबोल हो गए थे

तब मूलाराम जी जगदंबा माता भाकरी छिन्डीया से आशका (भभूती) लेकर हॉस्पिटल गए और बाप जी के मुंह

में प्रवेश किया प्रवेश से ही बाप जी बोलने लगे और हॉस्पिटल से घर आ गये| घर आकर बोले

रातीजोगा(माताजी का) लगवावो, तब रातीजोगा लगवाया रातीजोगा लगवा कर बोले भाइयों मुझे नींद नहीं आती

है तो भाई बोले क्यों नींद नहीं आती है बाप जी ने कहा मेरी पूट्ट( जगदंबा की पीछे सेवा करने वाला) खाली है

मेरी उम्र का समय पूरा हो चुका है इसीलिए सेवा दुसरे सेवक को सौंपनीं पडेगी तब भाइयों ने बोला किसको

सौंपेंगे तब बाप जी बोले सेवक तैयार है मूलाराम को बुलाओ भाइयों ने कहा की बिरम राम(बापजी का पुत्र) को

क्यों नहीं सौंपते बाप जी बोले नहीं मुलाराम को ही सोंपूंगा तब संवत 2073 की माघ सुदी बारस की

रात 1:15 बजे सेवक मूलाराम को सेवा सौंपी और बोले यदि फाल्गुन की 2आठम ( शुक्ल पक्ष की

और कृष्ण पक्ष की 2073 )और चेत्र की 2 आठम( शुक्ल पक्ष की और कृष्ण पक्ष की 2074 ) को अंतिम दिन

नहीं आया तो मेरी उम्र बढ भी सकती हैं| तत्पश्चात माघ से आगे एक छोटे बच्चे की गडबड थी एक माह 27

दिन तक उसके शरीर को जगदंबा ने बचाया और संवत 2074 चैत्र सुदी अष्टमी की राबत्र 1:15 बजे को सेवक

मूलाराम ने बताया की देवी के मंददर में अंधेरा हो गया है उसी टाइम से बाप जी बोले बात गई बात गई और

5:00 बजे एक बूढा बाबा गुजर गया तब बाप जी बोले भाइयों आप कुछ नहीं है7:00 बजे सूतक में बाङी बढी

कर दी उसी के कारण उसी दिन के बाद में बाप जी के ज्यादा गडबड हो गई भटकोरिया माता के मंदिर गए

और वहां से वापस आकर दिन छिपते ही बाप जी का हंसा अलोप हो गया तब उनके भाई जगदंबा के आश

पर रात्रि 12:15 तक देखते रहे बाद में आस पूरी नहीं होने पर पारंपरिक सांसारिक रिती ररवाज ककया तब तक

राबत्र का टाइम बीत गया और ददन की उगाली होने वाली ही थी तब बीरम राम( बापजी का पुत्र) के गडबड हो

गई और हॉस्पिटल ले गए तब मूलाराम ने कहा बाप जी समाचध लेंगे तब भाई बोले पहले क्यों नहीं बताया हम

सब रीति रिवाज कर चुके हैंअब हम बदनाम होंगे यदद समाचध दी तो तब मूलाराम ने कहा मैंआपको कुछ

इशारा ददलाता हूं तब तो मानोगे पुजारी जी समाचध लेंगे उन्होंने एक मुट्ठी धूणे से भभूतत लेकर लसक्का बना

कर दिखाया और और कहा की किसी और से पूछ लो तब रामदीन जी 52 पीठ भट कोररया धाम से आज्ञालेकर संवत 2074 चैत्र सुदी पूनम ( मंगलवार ) के ददन की 3:15 बजे समाचध का चोया(नींव) दिया

और 5:15 बजे समाधि में विलीन हो गए उसके बाद संवत 2074 वैशाख सुदी चवदस( 9:15 बजे) को मूर्ति ( जगदंबा नगर चिन्दङी धनारी बावड़ी जोधपुर राजस्थान 342037 मे)

की स्थापना हुई और बाप जी ने परचा दिया जो परचे निम्नलिखित है

1. पहला परचा गायों के रोग लमटाने का ददया

2. दसू रा पचाि जेरबटा कष्ट पीडा दूर करना

3. तीसरा परचा बच्चों के झपट फेटवाङे दूर करना था

4. चौथा परचा अंधे को आंखें देना था

5. पांचवा परचा पांगला को पांव देना था

6. छटा परचा बांखझया ने पुत्र देना था

लेखक:प्रकाश धतरवाल, लक्ष्मणराम धतरवाल

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