सदस्य:डॉ नरेश पाल मीणा

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आदिवासी कार्यक्रमों का आयोजन

"विश्व आदिवासी दिवस"

राजस्थान में 9 अगस्त, 2019 को विश्व आदिवासी दिवस बडी धूम धाम से मनाया गया। इस अवसर पर ग्राम पंचायत तेलनी, तहसील छबडा, जिला बारां, राजस्थान में आदिवासी समुदाय के भील, मीना, गरासिया, सहरिया आदि हजारों की संख्या में एकत्रित हुए। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां अभी भी लोग कच्चे घर, मिट्टी की छत के नीचे या घास फूस से बनी झौपड़ी मे रहते है, इस गांव में बिजली नहीं है, गर्मी के दिनों में पीने के लिए पानी नहीं, क्षेत्र में नशे की अधिकता, अभी तक पूरी ग्राम पंचायत से केवल तीन सरकारी कर्मचारी बने, लडकियों कि शिक्षा पर ध्यान नहीं है, सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं, साहुकारों का बोलवाला, क्षेत्र में अफीम की खेती से नशा, अपराध आदि बहुत समस्याएं है।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सन 1994 मे संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व आदिवासी दिवस घोषित किए जाने के 25 बर्ष बाद राजस्थान में पहली बार पूरे प्रदेश में आदिवासी दिवस मनाया गया। यह भी आश्चर्य की बात है कि आदिवासी दिवस के आयोजन के लिए आदिवासी युवा वर्ग ने तहसील व जिला स्तर पर आदिवासी दिवस मनाने तथा राजकीय अवकाश घोषित करने के लिए सरकार को ज्ञापन दिए जिसके कारण आम जनता को जानकारी मिली अन्यथा लोगों को इसके संबंध में जानकारी तक नहीं थी। यह पहला अवसर था जब जनप्रतिनिधियों ने युवाओं के दबाब मे आकर आदिवासी दिवस मनाने तथा राजकीय अवकाश घोषित करने के लिए सरकार को पत्र लिखे। इसके बाद श्रेय लेने के लिए राजनैतिक पार्टियां, राजनेता, सामाजिक संगठन एवं अन्य लोग सामने आने लगे जबकि सच्चाई यह है कि आदिवासी युवा शक्ति ने इस कार्यक्रम को पूरे प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर सफलतापूर्वक शांति से मनाया तथा इस अलवर पर अपने आदिवासी महापुरुषों को याद किया, सामाजिक बुराइयों को दूर करने का निर्णय किया।

आश्चर्य तथा दुख की बात है कि आदिवासी समुदाय के युवाओं, जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, भारत सरकार द्वारा आदिवासी दिवस के अवसर पर राजकीय अवकाश घोषित करने तथा राजकीय स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन करने की मांग करने के बाबजूद राजस्थान सरकार द्वारा पूरे प्रदेश में एच्छिक अवकाश तथा 9 जिलों में राजकीय अवकाश घोषित किया गया जिससे प्रतीत होता है कि राजस्थान सरकार द्वारा जानबूझकर आदिवासियों को टुकड़ों में बांटने के उद्देश्य ऐसा किया है जो कि एक भोले भाले समाज के लिए बहुत दुखद है। आदिवासी समुदाय राजस्थान में 12.5% उपस्थित रखता है जिसके लिए राजकीय अवकाश घोषित नहीं करना जबकि अन्य कुछ समुदायों की राजस्थान में चंद प्रतिशतों मे उपस्थित के बाबजूद राजकीय अवकाश, प्रशासनिक सहयोग, आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया जाता है।

विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर सभी सदस्यों ने मिलकर सैकडों पेड पौधे लगाए गए तथा डॉ नरेश पाल मीणा, निदेशक, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, भारत सरकार, जयपुर द्वारा क्षेत्र की जनता की समस्याओं को सुना गया, लिखित शिकायते ली गई जिन पर उचित कार्यवाही की जाएगी, कार्यक्रम के समापन समारोह के बाद सबके लिए भोजन की व्यवस्था रखी गई। कार्यक्रम में सभी सदस्यों द्वारा सपथ ली गई कि बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाएंगे, क्षेत्र में पीने के पानी की समस्या को दूर किया जाएगा, रोजगार के लिए प्रयास किया जाएगा, सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया जाएगा, आवश्यकता पडने पर सभी को प्रशासनिक सहयोग प्रदान किया जाएगा, क्षेत्र में व्याप्त नशा मुक्ति के लिए प्रयास किया जाएगा।

विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. नरेश पाल मीणा, निदेशक, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, भारत सरकार, क्षेत्रीय कार्यालय, जयपुर द्वारा की गई तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री के एल मीणा, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, पॉवर प्लांट छबडा तथा कार्यक्रम में उपस्थित अन्य अतिथियो मे श्री बनवारी लाल मीणा सांथा, बनबारी लाल मीणा जमवारामगढ़, विक्रम सिंह मीणा छबडा, संजय मीणा बारां, धर्मा छबडा, फूल सिंह छबडा, राम नरेश छबडा व क्षेत्र से हजारों की संख्या में आदिवासी समुदाय के सदस्य उपस्थित रहे।

जय जोहार, जय आदिवासी