सदस्य:जीतू वर्मा

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आज कबीर साहिब के बारे में बहुत कुछ सुना जा रहा हैं उनको परम पिता सर्व श्रेष्ठ भगवान माना जा रहा हैं इस बात में जरा भी गलती नही हैं क्योंकि कबीर के ज्ञान जैसा दुनिया मे कोई ज्ञान नही है सबसे पहले बात करते हैं इनकी जन्म कथा की तो इनका जन्म 15 वी शताब्दी में हुआ मानते हैं कही लोग तो कहते हैं कि ये कमल के फूल पर अवतरित हुए थे कहा जाता हैं कि एक बार गुरु पूर्णिमा को स्वामी रामानंद जी के एक शिष्य ने लहरतारा तालाब के पास आसमान से एक तारा टूटकर धरती पर तालाब के एक फूल पर पड़ते हुए देखा था और कही लोगो का ऐसा मानना हैं कि एक विधवा ब्राह्मणी स्वामी रामानंद जी की शिष्या थी उसको स्वामी रामानंद जी ने पुत्र प्राप्ति का एक वरदान दिया था इसलिए उसके एक पुत्र हुआ जिसको परम्परा के कुछ नियमो के कारण उसे लहरतारा तालाब पर छोड़ आई थी और कबीर के विषय मे कहा जाता हैं कि वो ना तो हिन्दू थे ना ही मुसलमान और कुछ तो हिन्दू मानते हैं और कुछ मुसलमान और इनके गुरु को कोई रामानंद जी मानते हैं और कोई कोई तो पीर शेखतकी को इनका गुरु मानते हैं कही वाणियो में कहा भी गया है स्वयं कबीर द्वारा की कांशी में हम प्रगट भये , रामानंद चेताये। में कांशी का जुलाहा । इत्यादि से तो ये स्पष्ट होता हैं कि रामानंद ही उनके गुरु थे ओर कही लोग तो इनके गुरु की व्याख्या ही अलग कर देते हैं कहते हैं कि इनके गुरु देहदारी नही थे बल्कि राम ही इनके गुरु थे उनकी भक्ति से उनको बड़ा आनद आता था इसलिए राम + आनंद यानी रामानंद कहते है इन्होंने आडम्बरो का तिरस्कार किया समाज को एक नई दिशा दी इन्होंने हिन्दुओ को भी कहा हिन्दू कहता राम हमारा ,मुस्लिम कहत रहमाना। दोहु लड़ लड़ मर गए मरहम न कोउ जाना।

कंकड़ पत्थर जोरि के ,मज्जिद लिया बनाये। ऊपर चढ़ मुल्ला भांग दे,क्या बहरा हुआ खुदाय।

इन्होंने कहा कि राम राम सब जगत बखाने,आदिराम कोई बिरला जाने। राम राम सब जगत बखाने,राम नाम का महरम न जाने।

इन्होंने ईश्वर को सगुन ओर निर्गुण दोने से परे बताया कोई सगुन में रींझ रहा ,कोई निर्गुण रींझा जाए। अटपट चाल कबीर की मोसे कही न जाये। उपरोक्त वाणी आदरणीय गरीब दास जी की हैं

कबीर ज्ञान है अटपट ,झटपट लिखा न जाये। जो कोई झटपट लिखे ,तो सारी खटपट ही मिट जाए।