सदस्य:चिन्मय दीपांकर

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बाल कहानीकार चिन्मय दीपांकर का जन्म- 8 दिसंबर 2012 को बिहार के भागलपुर में हुआ। वर्तमान में संत जोसफ स्कूल, भागलपुर में कक्षा पाँचवीं में अध्ययनरत। पिता-डॉ. मुकेश कुमार; माता-नीतु कुमारी। माता-पिता दोनों शिक्षा जगत से जुड़े हैं।

जिज्ञासा प्रकाशन गाजियाबाद से वर्ष 2024 में उसका कहानी संग्रह 'चुनमुन की कहानियाँ' प्रकाशित हुई है। पुस्तक में संकलित सारी कहानियाँ बाल कहानीकार चिन्मय के द्वारा रचित है। चिन्मय को उसके परिवार के लोग प्यार से ‘चुनमुन’ नाम से पुकारते हैं। अपनी माँ-पिता की दूसरी संतान चुनमुन कहानी लिखने के साथ-साथ पेंटिंग बनाने का भी शौकीन है। वह पढ़ाई-लिखाई में भी अव्वल आता है और अपने शिक्षकों का भी काफी चहेता है।

            जब वह कक्षा दूसरी में गया ही था की देश में कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के कारण लॉकडाउन लग गया और दुनिया के बाकी बच्चों की ही तरह चुनमुन को एक पूरा सत्र और दूसरे सत्र में भी ज़्यादातर दिन घर पर ही रहना पड़ा। इस दौरान उसे ज़्यादातर समय घर में अपने बड़े भाई के साथ बिताना पड़ा। क्योंकि उसके पिता राज्य से बाहर काम करते हैं और माँ एक स्कूल में शिक्षिका है। इस दौरान ऑनलाइन कक्षाओं में ही उसकी ज़्यादातर पढ़ाई हो पाई। ऑनलाइन पढ़ाई के साथ-साथ वह मोबाइल से यूट्यूब पर अकसर एनिमेटेड कहानियाँ और मॉरल स्टोरी सुनता था। इसी दौरान माँ-पिता ने उसे खुद से कहानी लिखने के लिए प्रेरित किया, जिससे उसके कहानी लिखने का सिलसिला शुरू हुआ।

            पढ़ाई-लिखाई से उसे जब भी मौका मिलता है तब या तो वह कोई पेंटिंग बना रहा होता है और अपनी इच्छानुसार कभी-कभार छोटी-छोटी कहानी लिखता। और इस तरह कोविड लॉक डाउन के समय से उसने 7 वर्ष की उम्र से कहानी लेखन की शुरुआत की। अपने पिता और उनके दोस्तों के साथ विभिन्न सामाजिक आंदोलनों, रैलियों आदि में बचपन से ही वह शिरकत करता रहा है। बचपन से ही बड़ों की संगति और सामाजिक-बौद्धिक माहौल का उसकी भाषा और व्यक्तित्व पर छाप दिखाई देता है।

            2021 में उसकी एक कहानी ‘बहादुर कार’ उत्तराखंड से निकलने वाली ‘साहित्य प्रीत’ नामक वेब पत्रिका के बाल विशेषांक में प्रकाशित हुई और उसे प्रथम पुरस्कार के लिए भी चयनित किया गया था। इसके अलावा भी उसकी कुछ अन्य कहानियाँ वेब मैगजीन और अख़बार में प्रकाशित हो चुकी हैं। अपनी कल्पना से कहानी की संगति में सारी पेंटिंग भी उसने खुद बनाई है। टंकण का भी ज़्यादातर कार्य उसी ने किया है। इस बाल कहानीकार की कहानियां बच्चों और बड़े दोनों के पढ़ने लायक हैं।

Chinmay Deepankar, Student of Class-5, St. Joseph's School Bhagalpur, Bihar

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