संयुक्त राष्ट्र समुद्र विधि समझौता

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██ जिन देशों ने लागू कर दिया है ██ जिन देशों ने हस्ताक्षर तो किया है परन्तु लागू नहीं किया██ जिन देशों ने हस्ताक्षर नहीं किये

संयुक्त राष्ट्र समुद्र विधि समझौता (अंग्रेजी: United Nations Convention on the Law of the Sea , (UNCLOS) ; देवनागरीकृत : युनाइटिड नेशंस कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ़ द सी ) एक अन्तरराष्ट्रीय समझौता है। जो विश्व के सागरों और महासागरों पर देशों के अधिकार और उत्तरदायित्वों को निर्धारित करता है और समुद्री साधनों के प्रयोगों के लिये नियम स्थापित करता है। यह समझौता सन् 1982 में तैयार हो गयी किन्तु इसमें एक नियम था कि जब तक 60 देशों के प्रतिनिधि इसपर हस्ताक्षर नहीं कर देते यह किसी पर लागू नहीं होगी। सन् 1994 में गयाना इसपर हस्ताक्षर करने वाला साठवाँ देश बना। सन् 2011 तक 161 देश इसपर हस्ताक्षर कर चुके थे।

सन्धि/समझौते के कुछ चुने हुए नियम[संपादित करें]

  • आन्तरिक जल - यह वे सारे जलाशय और नदियाँ होती हैं। जो किसी देश की भूमि सीमा के भीतर हों। इनपर राष्ट्र अपनी स्वेच्छा से नियम बना सकते हैं। किसी अन्य राष्ट्र की नौका को इनमें घुसने का या इनका प्रयोग करने का कोई अधिकार नहीं है।
  • प्रादेशिक जल - किसी राष्ट्र के तट से 12 समुद्री मील के भीतर का क्षेत्र उस राष्ट्र का क्षेत्र माना जाता है। इसमें वह राष्ट्र अपने कानून बना सकता है और जिस साधन का जैसे चाहे प्रयोग कर सकता है। विदेशी नौकाओं को इस क्षेत्र से "निश्चल परिवहन" करने का अधिकार है, जिसकी परिभाषा यह है के वे बिना रुके सीधे इस क्षेत्र से होकर अपने गन्तव्य तक जा सकते हैं। उस राष्ट्र की सुरक्षा और शान्ति को किसी भी तरह से भंग करने का या भंग करने की धमकी देने का कोई अधिकार नहीं है। आपातकालीन स्थितियों में राष्ट्र को इस निष्छल पारवहन पर भी कुछ समय तक रोक लगाने का अधिकार है।
  • निकटवर्ती क्षेत्र - क्षेत्रीय जल से और 12 समुद्री मील आगे तक (यानि तट से 24 समुद्री मील आगे तक) राष्ट्रों को अधिकार है के वे चार पहलुओं पर अपने कानून लागू कर सकें - प्रदूषण, कर (लगान), सीमाशुल्क और अप्रवासन (इम्मीग्रेशन)।
  • अनन्य आर्थिक क्षेत्र - राष्ट्र के तट अर्थात बेसलाइन से 200 समुद्री मील बाहर के क्षेत्र में केवल उसी राष्ट्र का साधनों पर आर्थिक अधिकार है, चाहे वह समुद्र के तल से या उसके नीचे से तेल या अन्य साधन निकालना हो, चाहे वह मछली पकड़ने का अधिकार हो। इस क्षेत्र से विदेशी नौकाएँ और विमान खुली छूट के साथ निकल सकते हैं। यहाँ विदेशी राष्ट्रों और कम्पनियों को संचार तारे भी समुद्र के तल पर लगाने का अधिकार है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]