शाह अहमद नूरानी
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शाह अहमद नूरानी | |
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जन्म |
1 अप्रैल 1926 मेरठ |
मौत |
11 दिसम्बर 2003 ![]() इस्लामाबाद ![]() |
नागरिकता |
ब्रिटिश राज, पाकिस्तान ![]() |
शिक्षा |
इलाहाबाद विश्वविद्यालय ![]() |
पेशा |
दार्शनिक, राजनीतिज्ञ, लेखक[1] ![]() |
राजनैतिक पार्टी |
जमीयते उलेमा-ए-पाकिस्तान, मुत्तहिदा मज्लिस-ए-अमल ![]() |
धर्म |
इस्लाम ![]() |
शाह अहमद नूरानी (उर्दू: شاہ احمد نورانی ; १९२६, अहमद नूरानी सिद्दीकी - २००३) पाकिस्तान के धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्र में एक सक्रिय व्यक्ति थे।
शुरुआती जीवन[संपादित करें]
नूरानी मेरठ में मौलाना अब्दुल अलीम सिद्दीकी के घर पैदा हुए, जिनका इतिहास परिवार हज़रत सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु और इतिहास त्रीकत इमाम अहमद रजा खान से जा मिलता है। नेशनल अरबी कॉलेज, मेरठ से स्नातक करने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से फ़ाज़िल अरबी और दारुल उलूम अरबी से दरस के योग्य के।
शिक्षा[संपादित करें]
उन्होंने आठ साल की उम्र में पूरा कुरआन मजीद कंठस्थ कर लिया था। नेशनल अरबी कॉलेज से स्नातक करने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से फ़ाज़िल अरबी और दारुल उलूम अरबी से दर्स के योग्य के।
पाकिस्तान प्रवास[संपादित करें]
1947 में संयुक्त ब्रिटिश सरकार में एक छात्र और आंदोलन पाकिस्तान के सक्रिय कार्यकर्ता थे। कुछ समय बाद पाकिस्तान चले आए।
जमीअत उलमा पाकिस्तान[संपादित करें]
1948 में अल्लामा अहमद सईद काज़मी ने जमीयत उलेमा पाकिस्तान के नाम से पार्टी बनाई और 1970 में मौलाना नूरानी ने जब पहली बार चुनाव में भाग लिया तो जमीअत में शामिल हुए तब जमीअत प्रमुख ख्वाजा कमरुद्दीन सयालवी थे। 1970 में जमीअते उलेमा पाकिस्तान के टिकट पर कराची से सदस्य राष्ट्रीय विधानसभा चुने गए। ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो के सामने उन्होंने प्रधानमंत्री पद के चुनाव में भाग लिया। सन् १९७२ में नूरानी जमीअत उलमा पाकिस्तान के प्रमुख बने और जीवन पर्यंत प्रमुख रहे। आप दो बार विधायक और दो बार पार्षद चुने गए।
आंदोलन निज़ामे मुस्तफ़ा[संपादित करें]
नूरानी को सन् १९७७ ई. में टेहरीक निज़ाम मुस्तफ़ा के मंच पर काम करने के कारण जेल जाना पड़ा।[उद्धरण चाहिए]
वर्ल्ड इस्लामिक मिशन[संपादित करें]
मौलाना ने दुनिया भर में इस्लाम का आफ़ाकी संदेश सार्वजनिक करने के लिए १९७२ में वर्ल्ड इस्लामिक मिशनबनाया। और विभिन्न देशों में कार्यालय बनाकर उसे सक्रिय किया। नरम स्वभाव की वजह से वह दोस्तों और दुश्मनों में समान लोकप्रिय थे। वर्ल्ड इस्लामिक मिशन
मृत्यु[संपादित करें]
दिल का दौरा पड़ने से इस्लामाबाद में 16 शव्वाल 1424 हिजरी 11 दिसम्बर 2003 को उनका निधन हुआ
जनाज़ा[संपादित करें]
उनकी नमाज़े जनाज़ा उनके बेटे अनस नूरानी ने पढ़ाई
मज़ार[संपादित करें]
कराची में हज़रत अब्दुल्लाह शाह गाजी के मज़ार परिसर में उन्हें दफ़्न किया गया
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ Error: Unable to display the reference properly. See the documentation for details.
- जमाली की पार्टी को विजय
- पाकिस्तान में विपक्ष पर दबाव
- एमएमए के चुने गए उम्मीदवारों की बैठक 30 अक्टूबर को होगी
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