शनि महाराज

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शनि महाराज[संपादित करें]

हिन्दू धर्म ग्रन्थों और शास्त्रों में भगवान् शिवजी को शनिदेव का गुरु बताया गया है, तथा शनिदेव को न्याय करने और किसी को दण्डित करने की शक्ति भगवान् शिवजी के आशीर्वाद द्वारा ही प्राप्त हुई है, अर्थात शनिदेव किसी को भी उनके कर्मो के अनुसार उनके साथ न्याय कर सकते है और उन्हें दण्डित कर सकते है, चाहे वे देवता हो या असुर, मनुष्य हो या कोई अन्य प्राणी ।शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव एवं देवी छाया के पुत्र शनिदेव को क्रूर ग्रह की संज्ञा दी गयी है । शनिदेव बचपन में बहुत ही उद्ण्डत थे तथा पिता सूर्य देव ने उनकी इस उदंडता से परेशान होकर भगवान् शिवजी को अपने पुत्र शनि को सही मार्ग दिखाने को कहा, भगवान् शिवजी के लाख समझाने पर भी जब शनिदेव की उदंडता में कोई परिवर्तन नहीं आया। एक दिन भगवान् शिवजी ने शनिदेव को सबक सिखाने के लिए उन पर प्रहार किया जिससे शनिदेव मूर्छित हो गये, पिता सूर्यदेव के कहने पर भगवान् शिवजी ने शनिदेव की मूर्छा तोड़ी तथा शनिदेव को अपना शिष्य बना लिया और उन्हें दण्डाधिकारी का आशीर्वाद दिया, इस प्रकार शनिदेव न्यायधीश के समान न्याय एवं दण्ड के कार्य में भगवान् शिवजी का सहयोग करने लगे।.

श्री शनि देव की कथा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण कथा है,[संपादित करें]

जिसे अनेक प्रकार से सुनाया जाता है। शनिदेव, हिंदू ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों में से एक ग्रह हैं और उनका धर्मीक नाम शनि ग्रह है। शनि ग्रह को संबोधित करने के लिए शनिदेव या शनैश्चर के नाम से भी जाना जाता है।

शनिदेव को प्रसन्न करने के निम्नलिखित 30 आसान उपाय[संपादित करें]

1. शनि मंत्र का जाप: "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः" मंत्र का नियमित जाप करें।

2. शनि देव के मंदिर में जाएं: शनिवार को शनि देव के मंदिर में जाएं और उन्हें अर्चना करें।

3. तिल के दान: शनिवार को तिल का दान करें।