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व्याख्याशास्त्र

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व्याख्याशास्त्र या शास्त्रार्थमीमांसा (अंग्रेज़ी-Hermeneutics), निरुपण व व्याख्या का सिद्धांत और पद्धति है जहां व्याख्या में ऐसी समझ शामिल होती है जिसे प्रमाणित किया जा सके, विशेषतः रूप से बाइबिल ग्रंथों, प्रज्ञा साहित्य (जैसे सुभाषितानि) और दार्शनिक ग्रंथों की व्याख्या की विद्या। इसका अभिप्राय ग्रंथों, वस्तुओं और अवधारणाओं की व्याख्या करने के लिए ऐतिहासिक रूप से विविध पद्धतियों और समझ के सिद्धांत दोनों से है।[1] शास्त्रार्थमीमांसा उन कई विधायों में एक भूमिका निभाता है, जिनकी विषय वस्तु विशेष रूप से व्याख्यात्मक दृष्टिकोण की मांग करती है, क्योंकि वह विद्यापीठिक विषय-वस्तु कला, साहित्य, ऐतिहासिक गवाही, और अन्य कलाकृतियाँ में संरक्षित मानवीय इरादों, विश्वासों और कार्यों के अर्थ या मानव अनुभव के अर्थ से संबंधित है।[2]

फ्रेडरिक श्लेइमाकर
विल्हेम डिल्थी
हैंस-जॉर्ज गैडमेर
मार्टिन हाइडेगर

सन्दर्भ

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  1. "Hermeneutics - an overview | ScienceDirect Topics". www.sciencedirect.com. Retrieved 2022-11-26.
  2. George, Theodore (2021), Zalta, Edward N. (ed.), "Hermeneutics", The Stanford Encyclopedia of Philosophy (Winter 2021 ed.), Metaphysics Research Lab, Stanford University, retrieved 2022-11-26