विषमविधिकता

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हेट्रोनोर्माटिविटी शब्द नब्बे के दशक में समाज वैज्ञानिकों और समाज शास्त्रियों द्वारा प्रचलित किया गया. इस शब्दावली ने हमें उन तमाम सवालों और आम लोगों में बसी हुई मान्यताओं (और भावनाओं) को समझने में मदद की, जो बताती थीं कि विषमलैंगिकता ही सामान्य या प्राकृतिक हैं.

हेट्रोनोर्माटिविटी, विषमलैंगिकता को मान्यता देती है, यानी विपरीत सेक्स के प्रति रूमानी और यौनिक आकर्षण को सामूहिक रूप से अपनाने की वकालत करती है. इसका यक़ीन केवल विषमलैंगिकता में है; और यह, इसी को ‘सामान्य’ और ‘प्रकृति-अनुरूप’ मानती है. विषमलैंगिकता को मानने वाले यह दावा करते हैं कि क्योंकि विषमलैंगिकता ही प्रकृति का नियम है और मर्द-औरत के बीच एक-पत्नीक और प्रजनशील रिश्ते ही समाज का आधार हैं जिससे वंशबेल लगातार आगे बढ़ाई जाती रह सके. इसलिए केवल उसी को समाज में मान्यता दी जानी चाहिए. इस मान्यता को स्वीकार करने वाले किसी अन्य कामुक अभियाक्तियों और पहचानों के लोगों को समाज में मान्यता नहीं देते. इसके पीछे यह भी एक कारण है जिसकी वजह से समाज, कुछ ख़ास तरह के रिश्तों को बुरा मानता है और उन्हें समाज में मान्यता नहीं देता.

समाज में विषमलैंगिकता की मान्यता को बल मिले इसके लिए ग़ैर-विषमलैंगिक पहचानों को नज़रंदाज़ किया जाता रहा है. यह प्रयास इतिहास का सहारा लेकर किए गए हैं. ग़ैर-विषमलैंगिकों की उपस्थिति को नकारने और उनकी वास्तविकता को दबाने के लिए उनको नियम और कायदों में बांध देने की कोशिश की जाती ही है. यह नियम भी इसी विषमलैंगिकता को कायम रखने के लिए मुख्यधारा समाज द्वारा बनाए गए हैं..

हेट्रोनोर्माटिविटी केवल लैंगिकता की निगरानी ही नहीं करती, बल्कि जेंडर भूमिकाओं के विभाजन को बनाए रखने का भी काम करती है. मिसाल के तौर पर, एक औरत को कुछ ख़ास तरह के काम करने चाहिए और मर्दों को दूसरी तरह के. समाज को संगठित रखने के सिद्धांत के रूप में स्त्रीत्व और पुरुषत्व की पहचानों को बनाए रखना ही ‘हेट्रोनोर्माटिविटी’ का मूल उद्देश्य है.

हेट्रोनोर्माटिविटी से जुड़े विचार और मान्यताएं इतनी सशक्त हैं कि एलजीबीटी परिवार जो इसे चुनौति देते हैं उनमें भी इसका साफ़ असर दिखाई देता है. एलजीबीटी समुदाय के लोगों में समलैंगिक विवाह के लिए संघर्ष इसका एक उदाहरण है. एलजीबीटी परिवारों में हेट्रोनोर्माटिव मान्यताओं के चलन पर हाल के वर्षों में बहुत लेखन और शोध हुआ है. इससे हमें पता लगता है कि इस सोच की समाज में कितनी मान्यता है.

संदर्भ:


द थर्ड आई: जेंडर, यौनिकता, हिंसा टेक्नोलॉजी, और शिक्षा पर काम करने वाली एक नारीवादी विचारमंच (थिंकटैंक) है.