"कंबोज": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
*शतपथ ब्राह्मण के एक स्थल से ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तरी लोगों अर्थात उत्तरी कुरुओं की तथा कुरु-पांचालों की बोली समान और शुद्ध मानी जाती थी। |
*शतपथ ब्राह्मण के एक स्थल से ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तरी लोगों अर्थात उत्तरी कुरुओं की तथा कुरु-पांचालों की बोली समान और शुद्ध मानी जाती थी। |
||
*वाल्मीकि-[[रामायण]] में कंबोज, वाल्हीक और वनायु देशों को श्रेष्ठ घोड़ों के लिये उत्तम देश बताया है, जो इस प्रकार है:<!--Start Quote. Please do not change use the उक्ति, template. This has been used here and proved not to work--> |
|||
{| align="center" style="border-collapse:collapse;border-style:none;background-color:transparent;max-width:38em;width:60%;" |
|||
| valign="top" style="color:{{{color|silver}}};font-size:{{{size|3.0em}}};font-family:serif;font-weight:bold;text-align:left;padding:8px 0;" | “ |
|||
| valign="top" style="padding:0 1em;" | {{{1| ''''कांबोज विषये जातैर्बाल्हीकैश्च हयोत्तमै: वनायुजैर्नदीजैश्च पूर्णाहरिहयोत्तमै:<ref>वाल्मीकि-रामायण बाल0 6,22</ref> ।''' }}} |
|||
| valign="bottom" style="color:{{{color|silver}}};font-size:{{{size|3.0em}}};font-family:serif;font-weight:bold;text-align:right;padding:8px 0;" | „ |
|||
|} |
|||
<!--End Quote--> |
|||
==संदर्भ== |
==संदर्भ== |
15:54, 2 मई 2010 का अवतरण
कंबोज / Kamboj
- प्राचीन वैदिक साहित्य में कंबोज देश या यहाँ के निवासी कांबोजों के विषय में कई उल्लेख हैं जिनसे ज्ञात होता है कि कंबोज देश का विस्तार उत्तर में कश्मीर से हिंदूकुश तक था। वंश ब्राह्मण में कंबोज के औपमन्यव नामक आचार्य का उल्लेख है।
- शतपथ ब्राह्मण के एक स्थल से ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तरी लोगों अर्थात उत्तरी कुरुओं की तथा कुरु-पांचालों की बोली समान और शुद्ध मानी जाती थी।
- वाल्मीकि-रामायण में कंबोज, वाल्हीक और वनायु देशों को श्रेष्ठ घोड़ों के लिये उत्तम देश बताया है, जो इस प्रकार है:
“ | 'कांबोज विषये जातैर्बाल्हीकैश्च हयोत्तमै: वनायुजैर्नदीजैश्च पूर्णाहरिहयोत्तमै:[1] । | „ |
संदर्भ
- ↑ वाल्मीकि-रामायण बाल0 6,22