"राष्ट्रपाल": अवतरणों में अंतर

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राष्ट्रपाल डी. इंगले ये एक सामान्य व्यक्तीत्व है.जो ऊनका जन्म महाराष्ट्र के अकोला जिल्हे के निपाणा गाव। मे एक मध्यम वर्ग मे १९८१ मे हुवा.आंतरजातीय विवाह विकास संस्था और अपने पत्रकारीता के माध्यम से पहले भारत मे पनपती हुई जातीयता एंव सांप्रदयीकता को जड से खत्म करवाने के लिये कार्य किया.भारत एक विशाल खंडप्राय युवा राष्ट्र होकर आज २१ वि सदी मे कदम रखने के बाद आज भी भारत के कुछ मनुवादी विचारधारा के लोगो ने जातीयता एंव छुआ- छुत को अपने सिनेसे लगाकर रखा है आज भी हर तरफ छुआ-छुत की परछाई दिखाई दे रही है.आज भी भारत मी आंतर जातीय विवाह करने वालो को संम्मानता से नही रखा जाता आंतर जातीय विवाह करने वालो पर आज भि अन्याय-अत्याचार होते है ऊनके खिलाफ आवाज ऊठाने के लिए और आंतरजातीय विवाह करने वाले युवा एंवम युवती को संवैधानिक रूपसे ऊनके अधिकार दिलाने के लिए और ऊनके ऊत्थान के लिए वे कार्य करते है.भारतीय संविधान संहिता १७ के अनुसार भारत से छुआछुत समाप्त कर दि गयी है,पर आज भी हमे जातीयता जैसे नीच बातो से गुजराना पड रहा है.
राष्ट्रपाल डी. इंगले ये एक सामान्य व्यक्तीत्व है.जो ऊनका जन्म महाराष्ट्र के अकोला जिल्हे के निपाणा गाव। मे एक मध्यम वर्ग मे १९८१ मे हुवा.आंतरजातीय विवाह विकास संस्था और अपने पत्रकारीता के माध्यम से पहले भारत मे पनपती हुई जातीयता एंव सांप्रदयीकता को जड से खत्म करवाने के लिये कार्य किया.भारत एक विशाल खंडप्राय युवा राष्ट्र होकर आज २१ वि सदी मे कदम रखने के बाद आज भी भारत के कुछ मनुवादी विचारधारा के लोगो ने जातीयता एंव छुआ- छुत को अपने सिनेसे लगाकर रखा है आज भी हर तरफ छुआ-छुत की परछाई दिखाई दे रही है.आज भी भारत मी आंतर जातीय विवाह करने वालो को संम्मानता से नही रखा जाता आंतर जातीय विवाह करने वालो पर आज भि अन्याय-अत्याचार होते है ऊनके खिलाफ आवाज ऊठाने के लिए और आंतरजातीय विवाह करने वाले युवा एंवम युवती को संवैधानिक रूपसे ऊनके अधिकार दिलाने के लिए और ऊनके ऊत्थान के लिए वे कार्य करते है.भारतीय संविधान संहिता १७ के अनुसार भारत से छुआछुत समाप्त कर दि गयी है,पर आज भी हमे जातीयता जैसे नीच बातो से गुजराना पड रहा है.

16:32, 9 नवम्बर 2020 का अवतरण

राष्ट्रपाल डी. इंगले ये एक सामान्य व्यक्तीत्व है.जो ऊनका जन्म महाराष्ट्र के अकोला जिल्हे के निपाणा गाव। मे एक मध्यम वर्ग मे १९८१ मे हुवा.आंतरजातीय विवाह विकास संस्था और अपने पत्रकारीता के माध्यम से पहले भारत मे पनपती हुई जातीयता एंव सांप्रदयीकता को जड से खत्म करवाने के लिये कार्य किया.भारत एक विशाल खंडप्राय युवा राष्ट्र होकर आज २१ वि सदी मे कदम रखने के बाद आज भी भारत के कुछ मनुवादी विचारधारा के लोगो ने जातीयता एंव छुआ- छुत को अपने सिनेसे लगाकर रखा है आज भी हर तरफ छुआ-छुत की परछाई दिखाई दे रही है.आज भी भारत मी आंतर जातीय विवाह करने वालो को संम्मानता से नही रखा जाता आंतर जातीय विवाह करने वालो पर आज भि अन्याय-अत्याचार होते है ऊनके खिलाफ आवाज ऊठाने के लिए और आंतरजातीय विवाह करने वाले युवा एंवम युवती को संवैधानिक रूपसे ऊनके अधिकार दिलाने के लिए और ऊनके ऊत्थान के लिए वे कार्य करते है.भारतीय संविधान संहिता १७ के अनुसार भारत से छुआछुत समाप्त कर दि गयी है,पर आज भी हमे जातीयता जैसे नीच बातो से गुजराना पड रहा है.