"रघुवीर नारायण": अवतरणों में अंतर
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उनकी विद्यालयी शिक्षा जिला विद्यालय, छपरा में हुई। उन्होने पटना कॉलेज से प्रतिष्ठा के साथ स्नातक किया। १९४० के बाद उन्होने पूर्ण संन्यासी जीवन जिया। |
उनकी विद्यालयी शिक्षा जिला विद्यालय, छपरा में हुई। उन्होने पटना कॉलेज से प्रतिष्ठा के साथ स्नातक किया। १९४० के बाद उन्होने पूर्ण संन्यासी जीवन जिया। |
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==बटोहिया== |
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सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से |
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मोरे प्राण बसे हिम-खोह रे बटोहिया | |
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एक द्वार घेरे रामा हिम-कोतवलवा से |
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तीन द्वार सिंधु घहरावे रे बटोहिया|| |
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जाहु-जाहु भैया रे बटोही हिंद देखी आउ |
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जहवां कुहुंकी कोइली बोले रे बटोहिया| |
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पवन सुगंध मंद अगर चंदनवां से |
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कामिनी बिरह-राग गावे रे बटोहिया|| |
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बिपिन अगम घन सघन बगन बीच |
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चंपक कुसुम रंग देबे रे बटोहिया | |
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द्रुम बट पीपल कदंब नींब आम वॄछ |
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केतकी गुलाब फूल फूले रे बटोहिया|| |
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तोता तुती बोले रामा बोले भेंगरजवा से |
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पपिहा के पी-पी जिया साले रे बटोहिया | |
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सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से |
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मोरे प्रान बसे गंगा धार रे बटोहिया|| |
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गंगा रे जमुनवा के झिलमिल पनियां से |
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सरजू झमकी लहरावे रे बटोहिया | |
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ब्रह्मपुत्र पंचनद घहरत निसि दिन |
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सोनभद्र मीठे स्वर गावे रे बटोहिया|| |
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उपर अनेक नदी उमड़ी घूमड़ी नाचे |
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जुगन के जदुआ जगावे रे बटोहिया | |
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आगरा प्रयाग काशी दिल्ली कलकतवा से |
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मोरे प्रान बसे सरजू तीर रे बटोहिया|| |
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जाउ-जाउ भैया रे बटोही हिंद देखी आउ |
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जहां ऋषि चारो बेद गावे रे बटोहिया | |
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सीता के बीमल जस राम जस कॄष्ण जस |
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मोरे बाप-दादा के कहानी रे बटोहिया|| |
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ब्यास बालमीक ऋषि गौतम कपिलदेव |
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सूतल अमर के जगावे रे बटोहिया| |
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रामानुज-रामानंद न्यारी-प्यारी रूपकला |
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ब्रह्म सुख बन के भंवर रे बटोहिया|| |
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नानक कबीर गौर संकर श्रीरामकॄष्ण |
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अलख के गतिया बतावे रे बटोहिया | |
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बिद्यापति कालीदास सूर जयदेव कवि |
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तुलसी के सरल कहानी रे बटोहिया || |
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जाउ-जाउ भैया रे बटोही हिंद देखि आउ |
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जहां सुख झूले धान खेत रे बटोहिया | |
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बुद्धदेव पॄथु बिक्रमा्रजुन सिवाजी के |
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फिरि-फिरि हिय सुध आवे रे बटोहिया || |
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अपर प्रदेस देस सुभग सुघर बेस |
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मोरे हिंद जग के निचोड़ रे बटोहिया| |
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सुंदर सुभूमि भैया भारत के भूमि जेही |
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जन ‘रघुबीर’ सिर नावे रे बटोहिया|| |
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== कृतियाँ== |
== कृतियाँ== |
06:11, 20 अक्टूबर 2017 का अवतरण
रघुवीर नारायण (३१ अक्टूबर १८८४ - १ जनवरी १९५५) हिन्दी साहित्यकार तथा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी थे।[1] उनके द्वारा रचित 'बटोहिया' नामक भोजपुरी राष्टीय गीत को पूर्वी भारत में “वन्दे मातरम्” के बराबर सम्मान मिला। जन-जागरण गीत की तरह गाया जाने वाला यह गीत पूर्वी लोकधुन में लिखा गाया है।[2]
जीवन परिचय
रघुवीर नारायण का जन्म बिहार के सारण जिले के दहियावां गाँव में हुआ था। उनके पिताजी का नाम जगदेव नारायण था।
उनकी विद्यालयी शिक्षा जिला विद्यालय, छपरा में हुई। उन्होने पटना कॉलेज से प्रतिष्ठा के साथ स्नातक किया। १९४० के बाद उन्होने पूर्ण संन्यासी जीवन जिया।
बटोहिया
सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से मोरे प्राण बसे हिम-खोह रे बटोहिया | एक द्वार घेरे रामा हिम-कोतवलवा से तीन द्वार सिंधु घहरावे रे बटोहिया||
जाहु-जाहु भैया रे बटोही हिंद देखी आउ जहवां कुहुंकी कोइली बोले रे बटोहिया| पवन सुगंध मंद अगर चंदनवां से कामिनी बिरह-राग गावे रे बटोहिया||
बिपिन अगम घन सघन बगन बीच चंपक कुसुम रंग देबे रे बटोहिया | द्रुम बट पीपल कदंब नींब आम वॄछ केतकी गुलाब फूल फूले रे बटोहिया||
तोता तुती बोले रामा बोले भेंगरजवा से पपिहा के पी-पी जिया साले रे बटोहिया | सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से मोरे प्रान बसे गंगा धार रे बटोहिया||
गंगा रे जमुनवा के झिलमिल पनियां से सरजू झमकी लहरावे रे बटोहिया | ब्रह्मपुत्र पंचनद घहरत निसि दिन सोनभद्र मीठे स्वर गावे रे बटोहिया||
उपर अनेक नदी उमड़ी घूमड़ी नाचे जुगन के जदुआ जगावे रे बटोहिया | आगरा प्रयाग काशी दिल्ली कलकतवा से मोरे प्रान बसे सरजू तीर रे बटोहिया||
जाउ-जाउ भैया रे बटोही हिंद देखी आउ जहां ऋषि चारो बेद गावे रे बटोहिया | सीता के बीमल जस राम जस कॄष्ण जस मोरे बाप-दादा के कहानी रे बटोहिया||
ब्यास बालमीक ऋषि गौतम कपिलदेव सूतल अमर के जगावे रे बटोहिया| रामानुज-रामानंद न्यारी-प्यारी रूपकला ब्रह्म सुख बन के भंवर रे बटोहिया||
नानक कबीर गौर संकर श्रीरामकॄष्ण अलख के गतिया बतावे रे बटोहिया | बिद्यापति कालीदास सूर जयदेव कवि तुलसी के सरल कहानी रे बटोहिया ||
जाउ-जाउ भैया रे बटोही हिंद देखि आउ जहां सुख झूले धान खेत रे बटोहिया | बुद्धदेव पॄथु बिक्रमा्रजुन सिवाजी के फिरि-फिरि हिय सुध आवे रे बटोहिया ||
अपर प्रदेस देस सुभग सुघर बेस मोरे हिंद जग के निचोड़ रे बटोहिया| सुंदर सुभूमि भैया भारत के भूमि जेही जन ‘रघुबीर’ सिर नावे रे बटोहिया||
कृतियाँ
- रघुवीर पत्र-पुष्प
- रघुवीर रसरंग
- रम्भा (खण्डकाव्य, अप्रकाशित)
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "यह रघुवीर नारायण कौन है?".
- ↑ "सूतल अमर के जगावे रे बटोहिया". पाठ " एक कविता बिहार से" की उपेक्षा की गयी (मदद)