"राधाचरण गोस्‍वामी": अवतरणों में अंतर

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'''राधाचरण गोस्‍वामी''' (२५ फरवरी १८५९ - १२ दिसम्बर १९२५ ) [[हिन्दी]] के [[भारतेन्दु युग]] के साहित्यकार थे। आपने अच्छे प्रहसन लिखे हैं॥
'''राधाचरण गोस्‍वामी''' (२५ फरवरी १८५९ - १२ दिसम्बर १९२५ ) [[हिन्दी]] के [[भारतेन्दु मण्डल|भारतेन्दु मण्डल]] के साहित्यकार जिन्होने [[ब्रजभाषा]]-समर्थक कवि, निबन्धकार, नाटकरकार, पत्रकार, समाजसुधारक, देशप्रेमी आदि भूमिकाओं में भाषा, समाज और देश को अपना महत्वपूर्ण अवदान दिया।<ref>[https://books.google.co.in/books?id=SboWOqY0PL0C&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false हिन्दी नवजागरण के रचनाकार : पण्डित राधाचरण गोस्वामी, पृष्ट ५९]</ref> आपने अच्छे प्रहसन लिखे हैं।


==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
गोस्वामी जी के पिता गल्लू जी महाराज अर्थात् गुणमंजरी दास जी (1827 ई.-1890 ई.) एक भक्त कवि थे। उनमें किसी प्रकार की धार्मिक कट्टरता और रूढ़िवादिता नहीं थी, प्रगतिशीलता और सामाजिक क्रान्ति की प्रज्ज्वलित चिनगारियाँ थीं। उनमें राष्ट्रवादी राजनीति की प्रखर चेतना थी।
गोस्वामी जी के पिता गल्लू जी महाराज अर्थात् गुणमंजरी दास जी (1827 ई.-1890 ई.) एक भक्त कवि थे। उनमें किसी प्रकार की धार्मिक कट्टरता और रूढ़िवादिता नहीं थी, प्रगतिशीलता और सामाजिक क्रान्ति की प्रज्ज्वलित चिनगारियाँ थीं। उनमें राष्ट्रवादी राजनीति की प्रखर चेतना थी।

==सन्दर्भ==
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[[श्रेणी:हिन्दी साहित्यकार]]
[[श्रेणी:हिन्दी साहित्यकार]]

11:21, 1 फ़रवरी 2016 का अवतरण

राधाचरण गोस्‍वामी (२५ फरवरी १८५९ - १२ दिसम्बर १९२५ ) हिन्दी के भारतेन्दु मण्डल के साहित्यकार जिन्होने ब्रजभाषा-समर्थक कवि, निबन्धकार, नाटकरकार, पत्रकार, समाजसुधारक, देशप्रेमी आदि भूमिकाओं में भाषा, समाज और देश को अपना महत्वपूर्ण अवदान दिया।[1] आपने अच्छे प्रहसन लिखे हैं।

जीवन परिचय

गोस्वामी जी के पिता गल्लू जी महाराज अर्थात् गुणमंजरी दास जी (1827 ई.-1890 ई.) एक भक्त कवि थे। उनमें किसी प्रकार की धार्मिक कट्टरता और रूढ़िवादिता नहीं थी, प्रगतिशीलता और सामाजिक क्रान्ति की प्रज्ज्वलित चिनगारियाँ थीं। उनमें राष्ट्रवादी राजनीति की प्रखर चेतना थी।

सन्दर्भ