"पुरुषार्थ": अवतरणों में अंतर
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मनुष्य के लिये [[वेद| वेदों]] में चार '''पुरुषार्थों''' का नाम लिया गया है - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष । |
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[[हिन्दू धर्म]] में '''पुरुषार्थ''' से तात्पर्य मानव के लक्ष्य या उद्देश्य से है। पुरुषार्थ = पुरुष+अर्थ = अर्थात मानव को 'क्या' प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिये। प्रायः मनुष्य के लिये [[वेद| वेदों]] में चार '''पुरुषार्थों''' का नाम लिया गया है - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष । |
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पुरुषार्थ का अर्थ मनुष्य का कर्तव्य कहलाता है। [[धर्म]] के अन्तर्गत माता-पिता शरीर आदि आते है; [[अर्थ]] के अन्दर व्यवसाय और धन कमाने के साधन आते है; काम के अन्दर पत्नी पति और पुत्र पुत्री आदि आते है, मोक्ष के अन्तर्गत अन्तिम शांति का मार्ग आता है। |
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14:06, 27 सितंबर 2011 का अवतरण
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हिन्दू धर्म में पुरुषार्थ से तात्पर्य मानव के लक्ष्य या उद्देश्य से है। पुरुषार्थ = पुरुष+अर्थ = अर्थात मानव को 'क्या' प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिये। प्रायः मनुष्य के लिये वेदों में चार पुरुषार्थों का नाम लिया गया है - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष ।