"त्रिदिब मित्रा": अवतरणों में अंतर
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[[Image:Hungry Generation Poets.jpg|thumb|right|200px| भुखी पीढी आंदोलन का मैगजिन कवर]] |
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*हंगरी, श्रुती ओ शास्त्रविरोधी आंदोलन ( १९८६ )। ड्क्टर उत्तम दाश। महादिगन्तो प्रकाशनी, कोलकाता ७०० १४४। |
*हंगरी, श्रुती ओ शास्त्रविरोधी आंदोलन ( १९८६ )। ड्क्टर उत्तम दाश। महादिगन्तो प्रकाशनी, कोलकाता ७०० १४४। |
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*क्षुधितो प्रजन्मो ( १९९५ )। डक्टर उत्तम दाश। महादिगन्तो प्रकाशनी, कोलकाता ७०० १४४। |
*क्षुधितो प्रजन्मो ( १९९५ )। डक्टर उत्तम दाश। महादिगन्तो प्रकाशनी, कोलकाता ७०० १४४। |
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*साल्टेड फेदर्स हंगरी आंदोलन विशेष संख्या ( १९६७ )। सम्पादक: डिक बाकेन, ओहयओ, अमरिका। |
*साल्टेड फेदर्स हंगरी आंदोलन विशेष संख्या ( १९६७ )। सम्पादक: डिक बाकेन, ओहयओ, अमरिका। |
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*इनट्रेपिड हंगरी आंदोलन विशेष संख्या ( १९६७ )। सम्पादक: एलेन डि लोच। निउ यार्क, अमरिका। |
*इनट्रेपिड हंगरी आंदोलन विशेष संख्या ( १९६७ )। सम्पादक: एलेन डि लोच। निउ यार्क, अमरिका। |
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[[Image:Hungry Generation Poets News Paper Article 1964.jpg|thumb|200px| सन १९६४ में त्रिदिब मित्रा एवम अन्य भुखी पीढी आंदोलनकारीगण, एक गोष्ठीमें]] |
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==इन्हे भी देखें== |
==इन्हे भी देखें== |
05:54, 7 अगस्त 2011 का अवतरण
त्रिदिब मित्रा ( ३१ दिसंबर १९४० ) बांग्ला साहित्य के भुखी पीढी ( हंगरी जेनरेशन ) आंदोलन के प्रख्यात कवि थे। वह और उनकि पत्नी आलो मित्रा दोनों मिलकर भुखी पीढी आंदोलन के दो पत्रिकायें चलाया करते थे; अंग्रेजी में वेस्ट्पेपर एवम बांग्ला में उन्मार्ग। बचपन में स्कुली परीक्षा के बाद वह एकबार घर से सात महिनें के लिये भाग गये थे। उस दौरान उनहे जो जीवन व्यतीत करना पडा उसका असर उनके और उनके लेखन में दिखायी देते हैं। उनके सम्पादित लघु पत्रिकायों के नाम से ही प्ता चल जाता है कि उनके मनन में क्या प्रभाव रहा होगा। भुखी पीढी अंदोलन में योग देने के पश्चात ही वह यातनामय स्मृति से उभर पाये थे। उनके लेखन में वह क्रोध झलकता है।
बांग्ला संस्कृती में एक नयी आयाम का अनुप्रवेश घटाया था त्रिदिब मित्रा ने। श्मशान, कबरगाह, बाजर, रेल-स्टेशन, खालसिटोला के मद्यपों के बिच कविता पढने और ग्रन्थों का उन्मोचन करने का जो सिलसिला भुखी पीढी अंदोलन के बाद शुरु हुये, उस प्रक्रिया के जनक थे त्रिदिब मित्रा और आलो मित्रा। वे दोनों के कविता पठन के कार्ञक्रम में काफि भीड हुया करता था, क्यों कि पहलिबार कविता को ले जाया गया था आम आदमि के समाज में। अनिल करनजय के बनाये पोस्टरों को कोलकाता के दिवारों में वही दोनों बेझिझक चिपकया करते थे।
भुखी पीढी ने जो मुखौटा कार्यक्रम शुरु किया था उसको अनजाम भी त्रिदिब और आलो ने दिये। उंचे पद के लोगों के दफतर में वही दोनों मुखौटा पहुंचाया था। जानवर, राक्षस, जोकर इत्यादि के मुखौटा पर लिखा होता था "कृपया अपना मुखौटा उतारे"। यह कार्यक्रम के कारण ही प्रधानत: कोलकाता प्रशासन भुखी पीढी के खिलाफ खफा हो गया था।
त्रिदिब देखने मे सुंदर थे एवम इसि कारण उन्हे भुखी पीढी का राजकुमार कहा जाता था।
कृतियां
- घुलघुलि। हंगरी प्रिन्टर्स, २२/६ भेरनेर लेन, कोलकाता ७०० ०५६ ( १९६५ )
- हत्याकाण्ड। हंगरी प्रिन्टर्स, २२/६ भेरनेर लेन, कोलकाता, ७०० ०५६ ( १९६७ )
सन्दर्भ
- हंगरी, श्रुती ओ शास्त्रविरोधी आंदोलन ( १९८६ )। ड्क्टर उत्तम दाश। महादिगन्तो प्रकाशनी, कोलकाता ७०० १४४।
- क्षुधितो प्रजन्मो ( १९९५ )। डक्टर उत्तम दाश। महादिगन्तो प्रकाशनी, कोलकाता ७०० १४४।
- एकालेर गोद्यो पोद्यो आंदोलनेर दलिल ( १९७० )। अध्यापक सत्य गुहा, अधुना पबलिशर्स, अमहर्स्ट स्ट्रीट, कोलकाता।
- युबयन्त्रणा ओअ साहित्य ( १९६८ )। डक्टर अलोकरंजन दाशगुप्ता, बसुमती, बौबाजार, कोलकाता।
- कृत्तिवास ( १९६६ )। सुनील गंगोपाध्याय, युगीपाडा रोड, दमदम, कोलकाता।
- हंगरि किंबदन्ति ( १९९४ )। मलय रायचौधुरी, दे बुकस, कोलकाता।
- हंगरी आंदोलन विशेष संख्या, उत्तरप्रवासी ( १९८६ )। गजेन्द्रो कुमार घोष, गुटेनबर्ग, सुइडेन।
- वन तुलसी का गंध ( १९८८ )। फणीश्वर नाथ 'रेणु', राजकमल प्रकाशन, दिल्लि।
- साल्टेड फेदर्स हंगरी आंदोलन विशेष संख्या ( १९६७ )। सम्पादक: डिक बाकेन, ओहयओ, अमरिका।
- इनट्रेपिड हंगरी आंदोलन विशेष संख्या ( १९६७ )। सम्पादक: एलेन डि लोच। निउ यार्क, अमरिका।
इन्हे भी देखें
- सुबिमल बसाक
- समीर रायचौधुरी
- शक्ति चट्टोपाध्याय
- मलय रायचौधुरी
- देबी राय
- फालगुनि राय
- अनिल करनजय
- सन्दीपन चट्टोपाध्याय
- बासुदेब दाशगुप्ता
- भुखी पीढी ( हंगरी जेनरेशन )
- विनय मजुमदार
बाह्यसूत्र
त्रिदिब मित्रा से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |