"द्रवस्थैतिक संतुलन": अवतरणों में अंतर
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[[तरल यांत्रिकी]] में '''द्रवस्थैतिक संतुलन''' या '''हाइड्रोस्टैटिक ऍक्विलिब्रियम''' किसी [[तरल पदार्थ]] (फ़्लुइड) की उस अवस्था को कहते हैं जिसमें वह तरल पदार्थ या तो बिलकुल स्थिर हो या फिर एक बिलकुल स्थाई गति से हिल रहा |
[[Image:Hydrostatic equilibrium.svg|thumb|right|भूरे काल्पनिक डब्बे की अन्दर की गैस पर तीन [[बल]] हैं - (१) उसके ऊपर की गैस का ([[गुरुत्वाकर्षण]] की वजह से वज़न से उत्पन्न होने वाला) नीचे की तरफ दबाव, (२) उसका अपना वज़न और (३) उसके नीचे की गैस का ऊपर की तरफ दबाव। अगर डब्बे के अन्दर की गैस द्रवस्थैतिक संतुलन की वजह से स्थिर है तो (१) और (२) मिलाकर ठीक (३) के बराबर होंगे।]] |
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[[तरल यांत्रिकी]] में '''द्रवस्थैतिक संतुलन''' या '''हाइड्रोस्टैटिक ऍक्विलिब्रियम''' किसी [[तरल पदार्थ]] (फ़्लुइड) की उस अवस्था को कहते हैं जिसमें वह तरल पदार्थ या तो बिलकुल स्थिर हो या फिर एक बिलकुल स्थाई गति से हिल रहा हो। ऐसी अवस्था अक्सर तब पैदा होती है जब किसी तरल पर [[गुरुत्वाकर्षण]] का बल और उसी तरल में दबाव से उत्पन्न होने वाला विपरीत बल बिलकुल बराबरी में हों। मिसाल के लिए [[पृथ्वी]] के [[वायुमंडल]] पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का भयंकर खिचाव है लेकिन वायुमंडल न तो पृथ्वी की सतह पर एक पतली परत में सिकुड़ जाता है और न ही सतह से और दूर फैल कर और पतला हो जाता है। इसकी वजह है के हमारा वायुमंडल द्रवस्थैतिक संतुलन में है। |
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==अन्य भाषाओँ में== |
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[[अंग्रेज़ी]] में "तरल" को "फ़्लुइड" (fluid) और "द्रवस्थैतिक संतुलन" को "हाइड्रोस्टैटिक ऍक्विलिब्रियम" (hydrostatic equilibrium) कहते |
[[अंग्रेज़ी]] में "तरल" को "फ़्लुइड" (fluid) और "द्रवस्थैतिक संतुलन" को "हाइड्रोस्टैटिक ऍक्विलिब्रियम" (hydrostatic equilibrium) कहते हैं। |
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==इन्हें भी देखें== |
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18:05, 31 मई 2011 का अवतरण
तरल यांत्रिकी में द्रवस्थैतिक संतुलन या हाइड्रोस्टैटिक ऍक्विलिब्रियम किसी तरल पदार्थ (फ़्लुइड) की उस अवस्था को कहते हैं जिसमें वह तरल पदार्थ या तो बिलकुल स्थिर हो या फिर एक बिलकुल स्थाई गति से हिल रहा हो। ऐसी अवस्था अक्सर तब पैदा होती है जब किसी तरल पर गुरुत्वाकर्षण का बल और उसी तरल में दबाव से उत्पन्न होने वाला विपरीत बल बिलकुल बराबरी में हों। मिसाल के लिए पृथ्वी के वायुमंडल पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का भयंकर खिचाव है लेकिन वायुमंडल न तो पृथ्वी की सतह पर एक पतली परत में सिकुड़ जाता है और न ही सतह से और दूर फैल कर और पतला हो जाता है। इसकी वजह है के हमारा वायुमंडल द्रवस्थैतिक संतुलन में है।
अन्य भाषाओँ में
अंग्रेज़ी में "तरल" को "फ़्लुइड" (fluid) और "द्रवस्थैतिक संतुलन" को "हाइड्रोस्टैटिक ऍक्विलिब्रियम" (hydrostatic equilibrium) कहते हैं।