"शीशम": अवतरणों में अंतर

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शीशम का प्रवर्धन
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[(शीशम) इसमें कायिक प्रवर्धन(जड़ों की अपस्थानिक कलिकाओं द्वारा) होता है ।

'''शीशम''' (Shisham या Dalbergia sissoo) [[भारत|भारतीय उपमहाद्वीप]] का वृक्ष है। इसकी लकड़ी फर्नीचर एवं इमारती लकड़ी के लिये बहुत उपयुक्त होती है।
'''शीशम''' (Shisham या Dalbergia sissoo) [[भारत|भारतीय उपमहाद्वीप]] का वृक्ष है। इसकी लकड़ी फर्नीचर एवं इमारती लकड़ी के लिये बहुत उपयुक्त होती है।



13:30, 16 फ़रवरी 2024 का अवतरण


शीशम

'डलबर्जिया सिस्सू

शीशम के पत्ते, फूल, फल
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: पादप
अश्रेणीत: पुष्पीय पौधे
अश्रेणीत: युडिकॉट
अश्रेणीत: रोज़िड
गण: Fabales
कुल: फ़ॅबेशी
वंश: डलबर्जिया
जाति: D. sissoo
द्विपद नाम
डलबर्जिया सिशू
विलियम रॉक्स्बर्ग

{[('शीशम ')] प्राय भारत के कई प्रदेशो (Rajasthan, Gujrat, Panjab etc.) }

[(शीशम) इसमें कायिक प्रवर्धन(जड़ों की अपस्थानिक कलिकाओं द्वारा) होता है ।

शीशम (Shisham या Dalbergia sissoo) भारतीय उपमहाद्वीप का वृक्ष है। इसकी लकड़ी फर्नीचर एवं इमारती लकड़ी के लिये बहुत उपयुक्त होती है।

शीशम बहुपयोगी वृक्ष है। इसकी लकड़ी, पत्तियाँ, जड़ें सभी काम में आती हैं। लकड़ियों से फर्नीचर बनता है। पत्तियाँ पशुओं के लिए प्रोटीनयुक्त चारा होती हैं। जड़ें भूमि को अधिक उपजाऊ बनाती हैं। पत्तियाँ व शाखाएँ वर्षा-जल की बूँदों को धीरे-धीरे जमीन पर गिराकर भू-जल भंडार बढ़ाती हैं।

शीशम की लकड़ी भारी, मजबूत व बादामी रंग की होती है। इसके अंतःकाष्ठ की अपेक्षा बाह्य काष्ठ का रंग हल्का बादामी या भूरा सफेद होता है। लकड़ी के इस भाग में कीड़े लगने की आशंका रहती है। इसलिए इसे नीला थोथा, जिंक क्लोराइड या अन्य कीटरक्षक रसायनों से उपचारित करना जरूरी है।

शीशम के 10-12 वर्ष के पेड़ के तने की गोलाई 70-75 व 25-30 वर्ष के पेड़ के तने की गोलाई 135 सेमी तक हो जाती है। इसके एक घनफीट लकड़ी का वजन 22.5 से 24.5 किलोग्राम तक होता है। आसाम से प्राप्त लकड़ी कुछ हल्की 19-20 किलोग्राम प्रति घनफुट वजन की होती है।

बाहरी कड़ियाँ