"गरीबी": अवतरणों में अंतर

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गरीबी दूर करने की नीति आयोग की रणनीति 2017 में नीति आयोग ने गरीबी दूर करने हेतु एक विज़न डॉक्यूमेंट प्रस्तावित किया था। इसमें 2032 तक गरीबी दूर करने की योजना तय की गई थी। इस डॉक्यूमेंट में कहा गया था कि गरीबी दूर करने हेतु तीन चरणों में काम करना होगा- गरीबों की गणना – देश में गरीबों की सही संख्या का पता लगाया जाए। गरीबी उन्मूलन संबंधी योजनाएँ लाई जाएँ। लागू की जाने वाली योजनाओं की मॉनीटरिंग या निरीक्षण किया जाए। आज़ादी के 70 साल बाद भी गरीबों की वास्तविक संख्या का पता नहीं चल पाया है। देश मे...
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गरीबी क्या है?

'''[https://uphelper.in/garibi-kya-hai/ गरीबी क्या है?]''' भोजन, कपड़ा और आश्रय सहित बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन न होना ही गरीबी है। हालाँकि, गरीबी सिर्फ पर्याप्त धन न होने से कहीं अधिक है।





15:06, 16 सितंबर 2023 का अवतरण

गरीबी

गरीबी क्या है?

गरीबी क्या है? भोजन, कपड़ा और आश्रय सहित बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन न होना ही गरीबी है। हालाँकि, गरीबी सिर्फ पर्याप्त धन न होने से कहीं अधिक है।


गरीबी

'गरीबी'या'निर्धनता'जीवन जीने के जरूरी साधनों के अभाव की स्थिति का नाम है।

“गरीबी उन जरूरी वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति का अभाव है जो एक व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक तथा भावनात्मक रूप से व्यक्ति और उसके परिवार के स्वास्थ्य और कुशलता को बनाये रखने में अति आवश्यक होती है।” यदि हम यह सोचते हो कि केवल भोजन, वस्त्र और आवास के प्रबन्ध से ही निर्धनता की समस्या समाप्त हो सकती है तो हम गलत है क्योंकि ये तीनों चीजे हमारे जीवन की जरूरी नींव को ही मजबूत करने का कार्य करती है. गरीबी वह डायन है जो एक व्यक्ति को और उसके भीतर की मानवता को प्रतिपल मारती है , गरीबी जीवन , समाज और राष्ट्र पर बोझ है गरीबी व्यक्ति का न तो कोई सम्मान होता है और न उसके जीवन का कोई लक्ष्य ही बन पाता है उसका सारा जीवन जरूरत की वस्तुओ को एकत्रित करने में निकल जाता है गरीबी के बारे में लिखने में मेरा मन , मेरी बुद्धि ,मेरी आत्मा लिखने में असमर्थ है , शायद मेरी ही नही अपितु पृथ्वी के हर विचारक की यही स्तिथि होगी


गरीबी दूर करने की नीति आयोग की रणनीति

2017 में नीति आयोग ने गरीबी दूर करने हेतु एक विज़न डॉक्यूमेंट प्रस्तावित किया था। इसमें 2032 तक गरीबी दूर करने की योजना तय की गई थी। इस डॉक्यूमेंट में कहा गया था कि गरीबी दूर करने हेतु तीन चरणों में काम करना होगा- गरीबों की गणना – देश में गरीबों की सही संख्या का पता लगाया जाए। गरीबी उन्मूलन संबंधी योजनाएँ लाई जाएँ। लागू की जाने वाली योजनाओं की मॉनीटरिंग या निरीक्षण किया जाए। आज़ादी के 70 साल बाद भी गरीबों की वास्तविक संख्या का पता नहीं चल पाया है। देश में गरीबों की गणना के लिये नीति आयोग ने अरविंद पनगढ़िया के नेतृत्व में एक टास्क फ़ोर्स का गठन किया था। 2016 में इस टास्क फ़ोर्स की रिपोर्ट आई जिसमें गरीबों की वास्तविक संख्या नहीं बताई गई। टास्क फ़ोर्स ने इसके लिये एक नया पैनल बनाने की सिफारिश की और सरकार ने सुमित्र बोस के नेतृत्व में एक समिति गठित की जिसकी रिपोर्ट मार्च 2018 में प्रस्तुत की गई। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सामाजिक-आर्थिक जातिगत जनगणना को आधार बनाकर देश में गरीबों की गणना की जानी चाहिये। इसमें संसाधनहीन लोगों को शामिल किया जाए तथा जो संसाधन युक्त हैं, उन्हें इसमें शामिल न किया जाए। नीति आयोग ने गरीबी दूर करने के लिये दो क्षेत्रों पर ध्यान देने का सुझाव दिया-पहला योजनाएँ तथा दूसरा MSME। देश में वर्कफ़ोर्स के लगभग 8 करोड़ लोग MSME क्षेत्र में काम करते हैं तथा कुल वर्कफोर्स के 25 करोड़ लोग कृषि क्षेत्र में काम करते हैं। अर्थात् कुल वर्कफोर्स का 65 प्रतिशत इन दो क्षेत्रों में काम करता है। वर्कफोर्स का यह हिस्सा काफी गरीब है और गरीबी में जीवन यापन कर रहा है। यदि इन्हें संसाधन मुहैया कराए जाएँ, इनकी आय दोगुनी हो जाए तथा मांग आधारित विकास पर ध्यान दिया जाए तो शायद देश से गरीबी ख़त्म हो सकती है।

इन्हें भी देखें