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9 जुलाई 2018

  • 14:2014:20, 9 जुलाई 2018 अन्तर इतिहास +3,214 जगन्नाथ .             *|| रथयात्रा नुं रहस्य ||* .                   *छंद : सारसी* .       *रचना : जोगीदान चडीया* उजवे असाडी बीज ऐनी रीज छे रुदीये भरी. पण परण छे के मरण ऐनीं परख केताने परी. आवी अखाडा खेल खेले भीड भुलवे भांनजी. चडीया जुवो चारण तमे आ जगत जोगी दांनजी. ||01|| गाता घणां तो भजन गीतो रुडा रमता राहडा. फरता फुदरडी फेर फेरे तरजनी पर ताहडा. शीद ने मळ्या ता ऐ सुंणो हुं कहुं आजे कानजी. चडीया जुवो चारण तमे आ जगत जोगी दांनजी. ||02|| वाग्युं हतुं वाली समु ज्यां भील केरुंय भालकुं. पांणी न मां... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 14:1414:14, 9 जुलाई 2018 अन्तर इतिहास +2,369 जगन्नाथभगवान जगन्नाथ के बारे मे एक और कथा भी है.. भगवान कृष्ण ने जब भालका तिर्थ पर प्राण त्याग कीये तो बादमे शुभद्रा और भाई बलराम ने भी देह छोड दीया.. तिनो को वहां समुद्र किनारे अग्नी संस्कार कीया जा रहा था तब भरती आई और पानी की लहरे आधे जले तीनो शब और आधी जली लकडीयां बहा के ले गयी जो उडीसा मे पुरी के पास निकलने से पेहले वहां के राजा ईन्दद्युमन को स्वप्न मे कृष्ण ने जाकर कहा की हम तिनो के शब निकलेंगे तुम्हारे कीनारे..अब फिरसे जलाना मत...स्थापीत करदेना... तब ईन्द्रद्युमन जो की भगवान कृष्ण का मित्र ... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन