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4 जून 2020

  • 12:2012:20, 4 जून 2020 अन्तर इतिहास +6 इच्छापत्र→‎बाहरी कड़ियाँ: जमीन का उत्तराधिकार नियुक्त करना। टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 12:1012:10, 4 जून 2020 अन्तर इतिहास +525 उत्तराधिकार→‎बाहरी कड़ियाँ: शादी के बेटी पिता का प्रॉपर्टी में अधिकार ले सकती हैं। टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 12:0512:05, 4 जून 2020 अन्तर इतिहास +90 इच्छापत्र→‎बाहरी कड़ियाँ: वसीयत को चुनौती कैसे दें सकते हैं टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 12:0212:02, 4 जून 2020 अन्तर इतिहास +5,500 इच्छापत्रवसीयत करने का नियम वसीयत करने का कई नियम और कानून है। आप वसीयत सादे पेपर पर भी कर सकते हैं या करवा सकते है। लेकिन आपको वसीयत एक स्टाम्प पेपर पर करवाकर उसे रजिस्टर्ड करवा लेना चाहिये। एक रजिस्टर्ड वसीयत का वैल्यू काफी ज्यादा हो जाता है। वैसे सादा पेपर पर किया गया वसीयत भी मान्य है लेकिन उसे कोर्ट में आसानी से चुनौती दिया जा सकता है। स्टाम्प पेपर पर भी यदि आप वसीयत बनाते हैं तो कोर्ट में उसे भी चुनौती दिया जाता है लेकिन स्टाम्प पेपर पर बनाया गया वसीयत का कोर्ट में ज्यादा वैल्यू भी दिया जाता है।  टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 11:5211:52, 4 जून 2020 अन्तर इतिहास +3,927 उत्तराधिकारहिन्दु उत्तराधिकार अधिनियम 1956 हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 में यह प्रावधान किया गया था की बेटी को अपना पिता का संपत्ति में तब तक ही अधिकार रहेगा जबतक वह शादी नहीं करती है। शादी करने से पहले ही बेटी का अपना पिता का संपत्ति में अधिकार होता था और शादी के बाद बेटी का अपना पिता के प्रॉपर्टी में अधिकार नहीं होता था। बेटा अपना पिता का प्रॉपर्टी में आजीवन अधिकारी होता था। यानी की बेटा जब तक जिंदा है तब तक उसे अपना पिता का प्रॉपर्टी में अधिकार है। बेटा जन्म लेते ही अपना पिता का प्रॉपर्टी का अधिकारी टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन