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विलेख

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विलेख (deed) एक लिखित कानूनी दस्तावेज है जो किसी अधिकार या सम्पत्ति के स्वामित्व आदि की घोषणा करता है।

कानूनी शब्दावली विलेख को दस्तावेज (document) (या चमड़े के कागज या कागज पर अन्य पढ़े जा सकने योग्य आवेदन या शब्द) के रूप में परिभाषित करता है, जो कानूनी रूप में किसी कार्य के होने की व्यवस्था करते हैं। साधारण रूप से यह कहा जा सकता है कि विलेख दस्तावेज होते हैं, लेकिन सभी दस्तावेज विलेख नहीं होते। लेकिन भारत में विलेख और अनुबन्ध में कोई अन्तर नहीं माना जाता है। हाँ, अनुबन्ध मौखिक हो सकता है, लेकिन विलेख, जैसा कि इसके नाम से लगता है, हमेशा लिखित में ही होता है। साधारणतः इसके निम्न भाग हैं-

आधार, आधारों, हैबन्डम (Habendum), टैनन्डम (Tenendum), रेडेन्डम (Reddendum), शर्तें और कानूनी समझौता (Covenant)।

किसी लेनदेन के कानूनी प्रभाव का निर्धारण करते समय जब अस्पष्ट शब्दों का प्रयोग किया गया है तो न्यायालय प्रायः उस निर्वचन को मानता है जो विलेख को सही मानता है, यदि पक्षों ने उसकी वैधता की कल्पना के अनुसार कार्य किया है। सम्पूर्ण विलेख को पढ़ना चाहिए और यथासम्भव उसके प्रत्येक भाग को पूरा करना चाहिए।

विलेखों और प्रपत्रों के आवश्यक तत्व (Components of the deeds and documents)

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विलेख विभिन्न पैराग्राफों में विभक्त होता है। प्रत्येक पैरा साधारण और समझने योग्य भाषा में आवश्यक और सम्बन्धित सूचना से व्यवहार करता है। यदि किसी विशेष मामले में कोई विशेष भाग लागू नहीं होता है तो उसे प्रपत्र में से हटा दिया जाता है। सामान्यतः महत्वपूर्ण भाग निम्न प्रकार हैं -

  • प्रपत्र का शीर्षक, जैसे शपथपत्र, क्षतिपूर्ति बॉण्ड
  • दस्तावेज के लागू होने की तिथि एवं स्थान
  • पक्षकारों के नाम व वर्णन
  • सस्वर पाठ (Recitals)
  • शर्तें और नियम
  • विशेष विनियम
  • न्यायक्षेत्र
  • पक्षों के हस्ताक्षर
  • गवाहों के हस्ताक्षर।

विलेख आवश्यक मूल्य के मुद्रांक पर लिखा जाना चाहिए।

कुछ प्रमुख विलेख

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  • साझेदारी विलेख (पार्टनरशिप डीड)
  • अधिकार पत्र (पॉवर ऑफ एटॉर्नी)
  • विक्रय संलेख (Sale Deed)
  • पट्टा या किराया विलेख (Lease Deed)
  • शपथ पत्र (Affidavit)
  • क्षतिपूर्ति बन्धपत्र (Indemnity Bond)
  • भेंट पत्र/उपहार विलेख (Gift Deed)
  • कम्पनी सीमानियम व अन्तर्नियम (Company : Memorandum and Articles of Association)
  • कम्पनी का वार्षिक प्रतिवेदन (Annual Report of a Company)

विनिमय-साध्य विलेख

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विनिमय-साध्य विलेख अधिनियम की धारा 13 के अनुसार या 'विनिमय-साध्य विलेख' या 'परक्राम्य लिखत' (negotiable instrument) की परिभाषा निम्नलिखित है-

एक विनिमय-साध्य विलेख से तात्पर्य ऐसे प्रतिज्ञा पत्र से है, जिसका भुगतान वाहक को अथवा आदेशानुसार हो सकता है।

अन्य परिभाषा

विनिमय-साध्य विलेख ऐसा विपत्र है, जिसमे निहित संम्पत्ति किसी व्यक्ति द्वारा सदभाव से और मूल्य के बदले अर्जित की गयी है, चाहे वह किसी ऐसे व्यक्ति से लिया गया है, जिसके स्वामित्व ( ownership ) मे कोई दोष ही क्यों न हो।

उपरोक्त परिभाषा से स्पष्ट है कि विनिमय-साध्य विलेख का स्वामित्व किसी अन्य व्यक्ति से हस्तानांतरण किया जा सकता है, प्राप्त करने वाले को शुद्ध स्वामित्व प्राप्त होगा, यदि वह निम्न तीन बाते पूरी कर दे-

  • 1. उसने उचित मूल्य दिया है।
  • 2. सद्विश्वास मे खरीदा है,
  • 3. उसे बेचने वाले (drawer) के दूषित स्वामित्व ( improper ownership) का ज्ञान नहीं है।

विनिमय-साध्य विलेख के आवश्यक लक्षण

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इसके आवश्यक लक्षण ( Essential characteristics ) निम्नलिखित हैं-

  • 1. लिखित
  • 2. लिखने वाले के हस्ताक्षर
  • 3. हस्तनान्तरण
  • 4. स्वामित्व का परिवर्तन ( transfer of ownership)
  • 5. शुद्ध अधिकार (good title)
  • 6. वैधानिक स्वामित्व
  • 7. शर्त रहित आदेश
  • 8. मुद्रा मे भुगतान
  • 9. देय होना
  • 10. प्रयोग

विनिमय-साध्य विलेख के प्रकार

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  • 1. धनादेश या चेक (cheque):- चेक एक प्रकार का विनिमय-पत्र है, जो किसी विशिष्ट बैंकर पर लिखा जाता है तथा मांग पर ही देय होता है।
  • 2. विनिमय-विपत्र (BILL OF EXCHANGE):- विनिमय बिल एक लिखित आदेश होता है, जिस पर लेखक के लिखित हस्ताक्षर होते है, तथा जिसमे निश्चित व्यक्ति को यह आदेश होता है कि वह अमुक ( निश्चित) व्यक्ति को अथवा उसके आदेशानुशर अथवा विलेख वाहक को एक निश्चित धनराशि का भुगतान करे।
  • 3. प्रतिज्ञा-पत्र (PROMISSORY NOTE):- प्रतिज्ञा पत्र एक लिखित विलेख है ( जिसमे बैंक नोट अथवा करन्सी नोट शामील नहीं है ) जिसमे शर्तहीन प्रतिज्ञा-पत्र लिखने वाला हस्ताक्षर करता है और किसी निश्चित व्यक्ति अथवा उनके आदेशानुशार अथवा विलेख के वाहक को एक निश्चित राशि चुकाने का वचन दिया जाता है।
  • 4. हुण्डी (HUNDI):- हुण्डी विनिमय पत्र का एक भारतीय रूप है। यह भारतीय भाषा मे लिखी जाती है व इसमे निश्चित राशि क भुगतान का आदेश होता है।

उपरोक्त विनिमय-साध्य विलेखों में अन्तर निम्नलिखित रारणी से स्पष्ट हो जायेगा-

क्रमांक आधार चेक विनिमय पत्र प्रतिज्ञा पत्र
लेखक यह देनदार द्वारा लिखा जाता है। यह लेनदार अथवा प्राप्तकर्ता द्वारा लिखा जाता है। यह भि देनदार द्वारा ही लिखा जाता है।
पक्षकार इसमे तीन पक्षकार- लेखक, देनदार, व प्राप्तकर्ता होते हैं। इसमे तीन पक्षकार- लेखक, देनदार, व प्राप्तकर्ता होते हैं। इसमे दो पक्षकार- लेखक, व प्राप्तकर्ता होते है।
लेख का स्वभाव चेक एक आदेश पत्र होता है। यह भी भुगतान का एक आदेश पत्र होता है। इसमें भुगतान करने वाला ही भुगतान करने की प्रतिज्ञा करता है।
प्रपत्र का स्वरूप यह सदैव बैंक द्वारा छापे गये फॉर्म पर ही लिखा जा सकता है। ईसका कोई निश्चित प्रारूप नहीं है। इसका भी कोई निश्चित प्रारूप नहीं है।
रेखांकन (crossing) चेक पर रेखांकन किया जा सकता है। इसपे कोई रेखांकन नहीं किया जा सकता है। इस पर रेखांकन नही किया जाता है।
अनादरण की सूचना (DISHONOUR) चेक अनादरण होने पर धारक द्वारा लेखक को सूचना देना अनिवार्य नही है, बैंक स्वत: ही यह कार्य करती है। इसके अनादरण होने पर सभी पछकारो को धारक द्वारा सूचित करना चाहिए। इसमे अनादरण स्वयॅ लेखक ही कर्ता है।

इन्हें भी देखें

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