विलियम वर्ड्सवर्थ
| विलियम वर्ड्सवर्थ | |
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Benjamin Robert Haydon की कृति: विलियम वर्ड्सवर्थ का चित्र (National Portrait Gallery). | |
| जन्म | 07 अप्रैल 1770 Cockermouth, Cumberland, इंग्लैण्ड |
| मृत्यु | 23 अप्रैल 1850 (उम्र 80 वर्ष) Cumberland, इंग्लैण्ड |
| पेशा | कवी |
| उच्च शिक्षा | St John's College, Cambridge |
| आंदोलन | स्वच्छन्दतावाद |
| उल्लेखनीय कामs | Lyrical Ballads, Poems in Two Volumes, The Excursion, द प्रेल्यूड, I Wandered Lonely as a Cloud |
विलियम वर्ड्सवर्थ (7 अप्रैल,1770-23 अप्रैल 1850) अंग्रेज़ी साहित्य के एक प्रमुख रोमांटिक कवि थे। उन्होने सैम्युअल टेलर कॉलरिज के साथ मिलकर अंग्रेजी सहित्य में गीतात्मक गाथागीत का संयुक्त प्रकाशन किया, जिसे रोमांटिक युग का आरम्भ माना जाता है। वर्ड्सवर्थ कि प्रसिद्ध रचना द प्रेल्यूड (The Prelude) है, जो कि एक अर्द्ध-आत्मकथात्मक कविता मानी जाती है। वर्ड्सवर्थ 1843 से लेकर अपनी मृत्यु (1850) तक ब्रिटेन के महाकवि (Poet Laureate) रहे।[1][2]
कविता और दर्शन का विकास
[संपादित करें]जैसे-जैसे वह बड़े होते गए, वर्ड्सवर्थ ने अपने युवावस्था के कट्टरपंथ के विचारों को धीरे-धीरे त्याग दिया। वर्ष 1813 में उन्हें डिस्ट्रिब्यूटर ऑफ़ स्टैम्प्स (टिकटों के वितरक) के रूप में नियुक्त किया गया जिसके बाद वे अपने परिवार के साथ इंग्लैंड के लेक डिस्ट्रिक्ट में स्थित राइडल माउंट नामक घर में बस गए।
1818 तक वर्ड्सवर्थ रूढ़िवादी टोरी दल (Conservative Tories) के एक दृढ़ समर्थक बन चुके थे। इस समय तक वे राजनीति की अपेक्षा साहित्य और व्यक्तिगत जीवन पर अधिक केंद्रित रहने लगे थे।
यद्यपि 1812 में उनके दो बच्चों की मृत्यु ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया, फिर भी उन्होंने लेखन जारी रखा। 1798 और 1808 के बीच का दशक उनके रचनात्मक जीवन का स्वर्ण युग माना जाता है, जब उन्होंने Lucy Poems, Tintern Abbety, The Prelude और Ode: Intimation of Immortality जैसी कालजयी रचनाएँ लिखीं। इन रचनाओं ने उन्हें एक प्रशंसित साहित्यकार के रूप में स्थापित किया और अंग्रेजी रोमांटिक आंदोलन का प्रमुख स्वर बना दिया।
1843 में वर्ड्सवर्थ को ब्रिटेन का महाकवि (Poet Laureate of England) नियुक्त किया गया, यह पद उन्होंने जीवन के अंत तक संभाला। 23 अप्रैल 1850 को, 80 वर्ष की आयु में, इंग्लैंड के वेस्टमॉरलैंड स्थित अपने घर राइडल माउंट में उनका निधन हो गया।[उद्धरण चाहिए]
प्रारम्भिक जीवन
[संपादित करें]विलियम वर्ड्सवर्थ का जन्म 7 अप्रैल 1770 को कॉकर्माउथ, कंबरलैंड (अब कम्ब्रिया, इंग्लैंड) के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में हुआ था। वे जॉन वर्ड्सवर्थ और ऐन कूक्सन की पाँच संतानों में से दूसरे थे। उनकी माता का निधन 1778 में और पिता का 1783 में हुआ। उनके पिता, जॉन वर्डसवर्थ, जेम्स लौथर, अर्ल ओफ लोन्स्डेल के कानूनी प्रतिनिधि (अटॉर्नी) थे और अपने पद के कारण परिवार एक बड़े घर में रहता था।
जॉन वर्ड्सवर्थ अपने काम के सिलसिले में अक्सर घर से बाहर रहते थे, किंतु उन्होंने विलियम को पढ़ने के लिये सदैव प्रोत्साहित किया। वे विशेष रूप से मिल्टन, शेक्सपियर और एडमंड स्पेंसर की रचनाएँ पढ़ने के लिए प्रेरित करते थे, उन्होंने विलियम को अपना निजी पुस्तकालय का उपयोग करने की भी अनुमति दी।
विलियम के के चार भाई-बहन थे- डोरोथी वर्ड्सवर्थ, जिससे उनका गहरा लगाव था और स्वयं भी एक कवयित्री थीं; रिचर्ड वर्ड्सवर्थ, सबसे ज्येष्ठ, जो वकील बने; जॉन वर्ड्सवर्थ जो एबर्गेवनी नामक जहाज के कप्तान थे और क्रिस्टोफर वर्ड्सवर्थ, जो आगे चलकर कैंब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज के मास्टर बने।
उनकी माता की मृत्यु के बाद, 1778 में, विलियम को हॉक्शीड ग्रामर स्कूल, (तत्कालीन लैंकाशायर, अब कम्ब्रिया) में भेजा दिया , जबकि उनकी बहन डोरोथी को यॉर्कशायर में रिश्तेदारों के पास रहने भेज दिया गया। दोनों भाई-बहन 9 वर्षों तक एक दूसरे से नहीं मिल सके।
कॉकरमाउथ के एक सामान्य विद्यालय में प्रांरभिक शिक्ष प्राप्त करने के बाद, हॉक्शीड में उनकी गंभीर शिक्षा की शुरूआत हुई। इससे पहले उन्हें पैनरिथ में उस विद्यालय में भी पढ़ाया गया था, जो उच्चवर्गीय परिवारों के बच्चों के लिए बनाया गया गया था।
वर्ड्सवर्थ नें एक कवि के रूप में अपना साहित्यक करियर 1787 में आरंभ किया, जब उनकी पहली कविता यूरोपियन मैगज़ीन में प्रकाशित हुई। उसी वर्ष उन्होंने सेंट जॉन्स कॉलेज, कैम्ब्रिज में प्रवेश लिया और 1791 में बी॰ए॰ की उपाधी प्राप्त की।
कॉलेज के प्रारंभिक वर्षों में ग्रीष्मावकाश के दौरान वे हॉकशीड लौटते थे और इंग्लैंड की प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर झीलों और पर्वतीय क्षेत्रों की यात्रा करते थे। १७९० में उन्होंने यूरोप की एक विस्तृत पैदल यात्रा की, जिसमें उन्होंने आल्प्स पर्वत, फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड और इटली के अनेक प्रदेशों का भ्रमण किया।[3]
पहला प्रकाशन और गीतात्मक गाथागीत
[संपादित करें]सन १७९३ में वर्ड्सवर्थ की प्रारंभिक काव्य रचनाएँ- An Evening Walk (एन ईवनिंग वॉक) और 'Descriptive Sketches (डिस्क्रिप्टिव स्केचेज़)- पहली बार प्रकाशित हुई। इन रचनाओं में उनके भीतर की प्रकृतिप्रेमी संवेदना और मानवीय भावनाओं के प्रति गहरी सहानुभूती स्पष्ट रूप से झलकती है।
१७९५ में उन्हें अपने मित्र रेज़ले कैलवर्ट (Raisley Calvert) से ९०० पाउंड विरासत में मिले, जिसने उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाया और साहित्य को पूर्णकालिक रूप से अपनाने के अवसर प्रदान किया। उसी वर्ष, समरसेट में उनकी भेंट सैम्युअल टेलर कोलरिज (Samuel Taylor Coleridge) से हुई। दोनों के बीच शीघ्र ही गहरी मित्रता स्थापित हो गई।
१७९७ में वर्ड्सवर्थ और उनकी बहन डोरोथी वर्ड्सवर्थ के साथ समससेट के अल्फॉक्सटन हाउस (Alfoxden House) में रहने लगे, जो कोलरिज के निवास नेटल स्टोवी (Nether Stowey) से कुछ ही मील की दूरी पर था। इन दोनों कवियों का सहयोग अंग्रेज़ी साहित्य के इतिहास में एक मील का पत्थर सिद्ध हुआ।
1798 में दोनों ने मिलकर प्रसिद्ध काव्य-संग्रह Lyrical ballads (गीतात्मक गाथागीत) प्रकाशित किया, जिसे अंग्रेज़ी के रोमांटिक आंदोलन (Romantic Movement) की शुरूआत का प्रतीक माना जाता है। इस संग्रह में वर्ड्सवर्थ की प्रसिद्ध कविता Tintern Abbey (टिन्टर्न एबी) और कौलरिज की कालजयी रचना "(The Rime of the Ancient Mariner) द राइम आफॅ द एन्शियंट मेरिनर सम्मलित थी।
गीतात्मक गाथागीत की प्रस्तावना (Preface to Lyrical Ballads) अंग्रेजी साहित्य के रोमांटिक सिद्धांत का आधारस्तंभ माना जाता है। इसमें वर्ड्सवर्थ ने कविता की एक नई परिभाषा प्रस्तुत करते हुए यह कहा कि कविता शक्तिशाली भावनाओं की सहज अभिव्यक्ति है, जो शांत मन में स्मृति से उत्पन्न होती है।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि कविता में “साधारण मनुष्य की भाषा” का प्रयोग होना चाहिए और कृत्रिम, अलंकारिक अठारहवीं सदी की शैली से दूरी रखनी चाहिए।
इस संग्रह के चार संस्करण प्रकाशित हुए, जिनमें अंतिम संस्करण 1805 में आया। यह कृति वर्ड्सवर्थ और कोलरिज दोनों की साहित्यिक ख्याति का आधार बनी और आगे चलकर संपूर्ण रोमांटिक युग की नींव स्थापित की।
साहित्यिक सम्मान
[संपादित करें]विलियम वर्ड्सवर्थ को १८३८ में डरहम विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ (Doctor of Civil Law) की मानद उपाधि प्रदान की गई। अगले वर्ष, 1839 में, उन्हें यही सम्मान ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से भी प्राप्त हुआ।
वर्ष १८४२ में ब्रिटिश सरकार ने उनके साहित्यिक योगदान की सराहना करते हुए प्रति वर्ष ३०० पाउंड की नागरिक सूची पेंशन (Civil List Pension) प्रदान की। यह सम्मान उस समय के महान साहित्यकारों को दिया जाने वाला एक प्रतिष्ठित सरकारी पुरस्कार था।
१८४३ में कवि रॉबर्ट साउदी (Robert Southey) के निधन के उपरांत वर्ड्सवर्थ को इंग्लैंड का राजकवि (Poet Laureate of England) नियुक्त किया गया। प्रारंभ में उन्होंने यह पद स्वीकार करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वे अब वृद्ध हो चुके हैं और सक्रिय रूप से काव्य लेखन में सलंग्न नहीं रह सकते। तथापि, तत्कालीन प्रधानमंत्री सर रॉबर्ट पील (Sir Robert Peel) के आग्रह और सम्मानपूर्वक निवेदन पर उन्होंने अंतत: यह पद स्वीकार कर लिया।
मृत्यु
[संपादित करें]विलियम वर्ड्सवर्थ का निधन 23 अप्रैल 1850 को फेफड़ों के संक्रमण (परिफुफ्फुसशोथ) के कारण हुआ। निधन के समय वे राइडल माउंट, वेस्टमरलैंड (अब कम्ब्रिया, इंग्लैंड) में अपने निवास पर थे। वर्ड्सवर्थ को ग्रेस्मेयर के सेंट ओसवाल्ड चर्च के प्रांगण में दफनाया गया।
उनकी मृत्यु के कुछ महीनों बाद, उनकी पत्नी मैरी वर्ड्सवर्थ ने उनकी द्वारा अधूरी आत्मकथात्मक महाकाव्य रचना द प्रेल्यूड (The Prelude) को प्रकाशित किया। यह काव्य वर्ड्सवर्थ के जीवन, चिंतन और काव्य-यात्रा का आत्मनिरीक्षण प्रस्तुत करता है। १८५० में इसके प्रकाशन के समय यह अधिक प्रसिद्ध नहीं हुआ, किंतु कालांतर में इसे उनकी सर्वश्रेष्ठ और सबसे महत्वपूर्ण काव्यकृति माना जाने लगा।[4]
प्रमुख रचनाएँ
[संपादित करें]- साईमन ली (Simon Lee)
- वी आर सेवन (We Are Seven)
- लाईन्स रिटन इन अर्ली स्प्रिगं (Lines Written in Early Spring)
- लाईन्स कम्पोज्ड ए फ्यू माइल्स अबव टिन्टर्न ऐबे (Lines Composed a Few Miles above Tintern Abbey)
- गीतात्मक गाथागीत की प्रस्तावना (Preface to Lyrical Ballads)
- ओड टू ड्यूटी (१८०७) (Ode to Duty, 1807)
- द सोलिटरी रीपर (The Solitary Reaper)
- लन्दन, १८०२ (London, 1802)
- द वर्ल्ड इज़ टू मच विद अस (the World Is Too Much with Us)
- माई हार्ट लीप्स अप (My Heart Leaps Up)
- डैफोडिल्स/ आई वान्डर्ड लोनली ऐज़ अ क्लाउड) (Daffodils/ I Wandered Lonely as a Cloud)
- द प्रेल्यूड (The Prelude)
- गाईड टू द लेक्स (१८१०) (A Guide to the Lakes, 1810)
इनकी चर्चित रचनाओं में से लिरिकल बैलेड्स (Lyrical Ballads) विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इसमें वर्ड्सवर्थ ने गद्य और पद्य की भाषा के संबंध में अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने यह प्रतिपादित किया कि कविता की भाषा सरल, स्वाभाविक और बोलचाल की भाषा के निकट होनी चाहिए, जिससे वह आम जनमानस की भावनाओं को अधिक सजीव रूप में व्यक्त कर सके।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ http://venn.lib.cam.ac.uk/cgi-bin/search.pl?sur=&suro=c&fir=&firo=c&cit=&cito=c&c=all&tex=%22WRDT787W%22&sye=&eye=&col=all&maxcount=50%5Bमृत+कड़ियाँ%5D
- ↑ Gill, Stephen. 'William Wordsworth: A Life. Oxford University Press, 1989.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से से 4 जनवरी 2007 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 3 जुलाई 2015.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". 26 मार्च 2016 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 3 जुलाई 2015.