विदेश सेवा संस्थान (भारत)
भारत सरकार ने 1986 में विदेश सेवा संस्थान (एफएसआई) की स्थापना की थी। इसका प्रमुख लक्ष्य विदेश मंत्रालय की भारतीय विदेश सेवा की व्यवसायिक प्रशिक्षण जरूरतों को पूरा करना है। विदेश सेवा संस्थान के नये भवन का औपचारिक उद्घाटन 14 नवम्बर 2007 को विदेश मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी द्वारा किया गया थ।
संस्थान ने अपनी गतिविधियों का विस्तार करते हुए विदेश मंत्रालय के सभी स्तरों के कर्मचारियों और अधिकारियों, अन्य सिविल सेवाओं और विदेशी राजनायिकों तथा संवाददाताओं के लिए पाठ्यक्रमों को उनमें शामिल किया है। एफएसआई विदेश मंत्रालय के स्टाफ, आईएफएस परिवीक्षाधीन अधिकारियों, निदेशकों और संयुक्त सचिवों (2009 से) के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का आयोजन और संचालन करता है। इसके अतिरिक्त यह अन्य सिविल सेवाओं, विदेशी राजनायिकों और कूटनीतिक पत्रकारों के लिए भी पाठ्यक्रमों का संचालन करता है। 1979-80 बैच के संयुक्त सचिव स्तर के आईएफएस अधिकारियों के लिए अनिवार्य मध्यवर्ती सेवाकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन एफएसआई द्वारा इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद के सहयोग से 13 अप्रैल से 01 मई 2009 के दौरान किया गया।
2007 और 2008 बैंचों के आईएफएस परिवीक्षाधीन अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन एफएसआई द्वारा 2007-09 के बीच किया गया, जिनमें आईआईएम, बैंगलोर जिला प्रशिक्षण और अन्य क्षेत्र यात्राओं के साथ संबद्धता भी शामिल थी। प्रशिक्षण पाठ्यक्रम सफलता पूर्वक पूरा कर लेने के बाद 2007 बैच के परिवीक्षाधीन अधिकारियों के लिए बिमल सान्याल पुरस्कार समारोह आयोजित किया गया। 2008 बैच के आईएफएस परिवीक्षाधीन अधिकारियों ने अपना मिशन उन्मुखी पाठ्यक्रम 2009 में पूरा किया, जिसके अंतर्गत 10 परिवीक्षाधीन अधिकारियों ने भूटान की यात्रा की।
विदेशी राजनायिकों के लिए व्यवसायिक पाठ्यक्रम (पीसीएफडी), जो विदेशी राजनायिकों के लिए एफएसआई का प्रमुख पाठ्यक्रम है, की शुरूआत 1992 में हुई थी। यह पाठ्यक्रम (4-6 सप्ताह की अवधि का) हर वर्ष करीब तीन बार आयोजित किया जाता है। 47वें पीसीएफसी का आयोजन फरवरी-मार्च, 2009 में किया गया और इसमें 100 से अधिक देशों में 1500 से अधिक विदेशी राजनायिकों को एफएसआई में प्रदर्शित किया जा रहा है। एफएसआई और यूक्रेन के विदेश सेवा संस्थान के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए, जिसके अंतर्गत दोनों संस्थानों के बीच सहयोग का संस्थागत फ्रेमवर्क कायम करने का प्रावधान है। बांग्लादेश, रोमानिया और चीन के शिष्टमंडलों ने एफएसआई का दौरा किया। इब्सा (भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका) देशों के राजनायिक संस्थानों के डीनों की दूसरी बैठक सितंबर, 2008 में एफएसआई में आयोजित की गई। इस अवसर पर "भारत ब्राजील दक्षिण अफ्रीका सहयोग : चुनौतियां और अवसर" विषय पर एक सेमिनार का भी आयोजन किया गया।
मित्र देशों के विशेष अनुरोधों के जबाव में एफएसआई ने अफगानिस्तान, कनाडा, इराक, लाओस, मालद्वीप (मालद्वीप के राजनायिकों के लिए एक विशेष पाठ्यक्रम 14 जुलाई 2009 को प्रारंभ हुआ और 12 अगस्त, 2009 को संपन्न हुआ), नार्वे, फलीस्तीन, सूडान और वियतनाम के राजनायिकों के लिए विशेष पाठ्यक्रमों को भी आयोजन करता है। आसियान देशों के लिए प्रशिक्षण प्राठ्यक्रमों का आयोजन2006 से एक वार्षिक विशेषता बन गया है। भारत में विशेषज्ञतापूर्ण संस्थानों और शैक्षिक निकायों के साथ सक्रिय संपर्क के अलावा एफएसआई ने अन्य देशों के 34 विदेश सेवा संस्थानों के साथ संस्थागत संपर्क कायम किये हैं। पिछले एक वर्ष के दौरान एफएसआई ने प्रमुख भारतीय और विदेशी विशेषज्ञों तथा विशिष्ट व्यक्तियों द्वारा कई विशेष व्याख्यानों का आयोजन किया। राष्ट्रीय रक्षा कालेज में 48वें पाठ्यक्रम में हिस्सा ले रहे विदेश रक्षा अधिकारियों ने एफएसआई का दौरा किया और उनके लिए एक व्याख्यान आयोजित किया गया।
विशिष्ट राजनायिकों को शामिल करके बनाई गई तथा श्री आबिद हुसैन की अध्यक्षता वाली आबिद हुसैन समिति ने 2009 में एक रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया, जिसमें विदेश सेवा संस्थान को और उन्नत बनाने के बारे में उपयोगी सिफारिशें की गई हैं।
विदेश सेवा संस्थान का अध्यक्ष डीन होता है, जो विदेश मंत्रालय में सचिव के रैंक का अधिकारी है। यह संस्थान विदेश सेवा के अधिकारियों को बुनियादी प्रशिक्षण प्रदान करता है। एफएसआई में बड़ी संख्या में मेहमान शिक्षक भी शामिल हैं, जो शैक्षिक और अनुसंधान समुदाय, विचारकों, भारत सरकार के अन्य मंत्रालयों/विभागों, मीडिया, सार्वजनिक जीवन, उद्योग और व्यापार से संबद्ध विशेषज्ञों और सेवानिवृत्त लोकसेवकों में से चुने जाते हैं।