वासिष्ठिपुत्र पुलुमावि
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वासिष्ठिपुत्र श्री पुलुमावि एक सातवाहन सम्राट थे जो सातवाहन सम्राट गौतमीपुत्र शातकर्णी के पुत्र थे। गौतमपुत्र सातकर्णी के बाद वर्ष 132 इसवी में वह शनिवाहन का राजा बना।
कैरियर
[संपादित करें]अपने शासनकाल के दौरान, क्षत्रप ने नर्मदा की भूमि उत्तर और उत्तरी कोंकण में ले ली। पुलुमावी और रुद्रदामन (उज्जैन के क्षत्रप) के बीच दो बार युद्ध हुआ । इन दोनों युद्धों में, रूद्रामन ने वशिष्ठिपुत्र पलुमवी को हराया लेकिन उनकी बेटी वस्तीति के बेटे शातकर्णी द्वितीय (पुलुवामी के छोटे भाई) को इसके कारण समझौता किया गया था। वैशालीपुत्र पलूमावई अपने स्वयं के मुखौटा के साथ चांदी के सिक्के ले आए थे।
पुरानो में उनका नाम पुलोमा शातकर्णी और टॉलमी के विवरण में सिरों-पोलिमेओस के रूप में मिलता है ! सम्बव्ते उसी ने नवनगा की स्थापना की थी ! उसने भी महाराज और दक्शिनाप्थेश्वर की उपाधि धारण की जिसका उल्लेख अमरावती लेक में मिलता है आन्ध्र प्रदेश पर विजय प्राप्त करने के बाद इसे प्रथम आन्ध्र सम्राट कहा गया !