वार्ता:शूकर इन्फ्लूएंजा

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इन्फ्लूएंजा शब्द तो हिन्दी का नहीं है, फिर इसे क्यों नहीं बदल रहे हैं ? इसकी भी हिन्दी कीजिए।--122.162.250.100 १५:२१, २२ अक्तूबर २००९ (UTC)

शब्दावली-निर्माण में कई बिन्दुओं पर ध्यान देना पड़ता है उसमें से एक यह भी है कि यदि (जब तक) अपनी भाषा, संस्कृति, साहित्य का कोई सम्यक शब्द उपलब्ध न हो तब तक विदेशी शब्दों की बैशाखी से काम चलाया जाय। यह 'विशेष स्थिति' है जिसे सामान्यीकृत करके यह नहीं कहना चाहिये कि "अनेक शब्द तो अंग्रेजी के ही प्रयोग कर रहे हैं इसलिये सभी पारिभाषिक शब्द अंग्रेजी के ही ले लेने चाहिये।" यह हार मानने, या घुटने टेकने वाली स्थिति है। 'शूकर' शब्द बहुत प्रचलित है। 'सूकर पालन' खूब चलता है। आप कहेंगे कि 'सूअर पालन' में क्या हर्ज है? 'सूअर' हिन्दी के लिये 'चलेगा' किन्तु एक घोषित नीति यह भी है कि शब्दावली 'अखिल भारतीय' प्रकृति की होनी चाहिये। अर्थात ऐसे शब्द चुनने चाहिये जो सभी भारतीय भाषाओं को अपने लगें और भारतीय भाषाओं की शब्दावली में अधिकाधिक एकरूपता आ सके। यह केवल तभी सम्भव है जब शब्दावली-निर्माण के लिये संस्कृत मूल के शब्दों का उपयोग किया जाय।

किसी को यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिये कि 'अंगेजी' के शब्द आसान हैं। आसान इसलिये लगते हैं कि उनके प्रयोग करके उनके आदी हो गये हैं। पहली बात तो यह कि ये शब्द अधिकांशत: अंग्रेजी मूल के नहीं हैं - वे यूनानी या लैटिन मूल के हैं। पूरा जीवविज्ञान और चिकित्साशास्त्र, लैटिन और यूनानी शब्दावली से भरा पड़ा है। विश्वास न हो तो देखिये कि विकिपिडिया पर किसी शब्द की परिभाषा शुरू करने के पहले यही लिखा होता है कि यह शब्द दो या तीन अमुक-अमुक ग्रीक शब्दों से बना है जिनका अमुक-अमुक अर्थ होता है। किन्तु इसका आधुनिक अर्थ इस अर्थ से बहुत अलग है... आदि। अनुनाद सिंह ०५:१४, २३ अक्तूबर २००९ (UTC)