वार्ता:गायत्री महामंत्र

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                                                                           गायत्री मन्त्र { गुरुमंत्र }
                                     ओ३म्  भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्| यजुर्वेद अ .३६ /३
                     सर्वरक्षक परमेश्वर  प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप  को हम अन्तःकरण में धारण करें। 
                                                               वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे । 
                                                                                  भावार्थ पद्य 
                                                                  तूने हमें उत्पन्न किया, पालन कर रहा है तू |
                                                               तुझसे ही पाते प्राण हम, दुखियो के कष्ट हरता है तू ||
                                                                  तेरा महान तेज है, छाया हुआ सभी जगह |
                                                               सृष्टि की वस्तु-वस्तु में, तू हो रहा है विद्यमान ||
                                                                  तेरा ही धरते ध्यान हम, मांगते तेरी दया |
                                                                 ईश्वर हमारी बुद्धि को, श्रेष्ट मार्ग पर चला