वनमाली

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वनमाली, हिन्दी उन्नायक व दार्शनिक थे। उन्होने उस युग में हिन्दी में दार्शनिक रचनाएँ की जब फारसी का बोलबाला था। वनमाली, संस्कृत तथा फारसी के भी अच्छे जानकार थे। वे दारा शूकोह के लेखन तथा अनुवाद में सहायक साहित्यकार थे। आपने दारा के आदेश पर कितने ही संस्कृत ग्रन्थों का फारसी अनुवाद तथा अनेक स्वतन्त्र दार्शनिक ग्रन्थों का प्रणयन किया।

अपनी रचनाओं में इन्होने 'बलीराम', 'वनमाली' और 'बली' तीन नाम दिये हैं।

रचनाएँ[संपादित करें]

  • अद्वैतप्रकाश
  • षट्शास्त्रविचार
  • वस्तुविचार
  • झूलना (पद्य)