लाला जगदलपुरी
लाला जगदलपुरी (जन्म १७ दिसम्बर १९२०) एक हिन्दी साहित्यकार हैं। वे बस्तर के निवासी है और छत्तीसगढ़ी कविताओं के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। हल्बी बोली में रचित उनकी रचनाओं में श्रृंगार रस की प्रधानता है। नायिकाओं का श्रृंगारिक, मादकतापूर्ण चित्रण छत्तीसगढ़ी श्रृंगार साहित्य में अपूर्व है। मूलतः हिन्दी का कवि होने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ी और बस्तर की हल्बी-भतरी लोक भाषाओं में भी पर्याप्त और उल्लेखनीय सृजन किया। उनकी 'हल्बी लोककथाएं' के कई संस्करण प्रकाशित हो गए हैं। बाल-साहित्य-लेखन में भी उनका गुणात्मक योगदान उल्लेखनीय और सराहनीय रहा है।
लेखन के साथ-साथ जगदलपुरी जी अध्यापन तथा खेती का काम करते हैं। बस्तर से उनका अगाध प्रेम है। उन्होने 1936 से लेखन आरम्भ किया और 1939 से प्रकाशन पाने लगे। उनकी प्रेरणा से बस्तर में कई साहित्यकार पनपे। उन्का सृजन इतना उत्कृष्ट और प्रामाणिक कि लोग उनका लिखा चुराने लगे।
लालाजी के अतीत का थोड़ा-सा समय साहित्यिक पत्रकारिता को भी समर्पित रहा था। वे जगदलपुर से कृष्ण कुमार द्वारा प्रकाशित साप्ताहिक “अंगारा” में सम्पादक, रायपुर से ठाकुर प्यारे लालजी द्वारा प्रकाशित “देशबन्धु” में सहायक सम्पादक, महासमुन्द से जयदेव सतपथीजी द्वारा प्रकाशित “सेवक” में सम्पादक और जगदलपुर से ही तुषार कान्ति बोस द्वारा बस्तर की लोक भाषा “हल्बी” में प्रकाशित साप्ताहिक “बस्तरिया” में सम्पादक रहे। [1]
मुख्य कृतियाँ
[संपादित करें]- कविता/गजल संग्रह
- मिमियाती जिंदगी दहाड़ते परिवेश (1983, आन्दोलन प्रकाशन, जगदलपुर),
- पड़ाव-5 (1992, पड़ाव प्रकाशन, भोपाल),
- हमसफ़र (1986, पल्लव साहित्य समिति, भोपालपटनम, सम्पादित),
- आंचलिक कविताएँ (2006, "आकृति", जगदलपुर द्वारा प्रकाशित),
- जिंदगी के लिये जूझती गजलें (2005, "आकृति", जगदलपुर द्वारा प्रकाशित),
- गीत-धन्वा (2011, प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान, रायपुर, छ.ग. द्वारा प्रकाशित)
- इतिहास-संस्कृति
- बस्तर : इतिहास एवं संस्कृति (1994, म.प्र.हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, भोपाल),
- बस्तर-लोक : कला-संस्कृति प्रसंग (2003, आकृति संस्थान, जगदलपुर),
- बस्तर की लोकोक्तियाँ (2000, राष्ट्रीय प्रकाशन मन्दिर, लखनऊ),
- बस्तर की लोकोक्तियाँ (2008, छ.ग.राज्य हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, रायपुर-छ.ग.)
- लोक कथा संग्रह
- हल्बी लोक कथाएँ (1972, लोक चेतना प्रकाशन, जबलपुर),
- वनकुमार और अन्य लोक कथाएँ (1990, नवभारती प्रकाशन, इलाहाबाद),
- बस्तर की मौखिक कथाएँ (1991, बस्तर सम्भाग हल्बी साहित्य परिषद्, कोंडागाँव),
- बस्तर की लोक कथाएँ (1989, सरस्वती प्रतीक संस्थान, भोपाल)
- अनुवाद
- प्रेमचंद चो बारा कहनी (1984, वन्या प्रकाशन, भोपाल),
- बुआ चो चिठी मन (1988, वन्या प्रकाशन, भोपाल),
- रामकथा (1991, वन्या प्रकाशन, भोपाल),
- हल्बी पंचतन्त्र (1971, इन्द्रावती प्रकाशन, जगदलपुर)
सम्मान पुरस्कार
[संपादित करें]- 28 अक्टूबर 1972 को "चंदैनी-गोंदा" के धमतरी मंच पर सम्मानित,
- धमतरी में ही स्थानीय साहित्य समिति द्वारा तीन बार 1977, 1990 एवं उससे पूर्व सम्मानित,
- म.प्र. प्रगतिशील लेखक संघ के जगदलपुर अधिवेशन में 29 अक्टूबर 1982 को सम्मानित,
- कानपुर में अखिल भारतीय बाल-साहित्यकारों के साथ बाल-कल्याण संस्था द्वारा 17 फरवरी 1983 को सम्मानित-पुरस्कृत,
- 07 सितम्बर 1985 को जगदलपुर स्थित "दण्डकारण्य समाचार" प्रेस द्वारा सम्मानित,
- "पारम्परिक बस्तर शिल्पी परिवार" संस्था कोंडागाँव द्वारा 18 दिसम्बर 1987 को सम्मानित,
- छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा 1988 में रायपुर में सम्मानित-पुरस्कृत,
- "सूत्र" द्वारा 1992 में जगदलपुर में सम्मानित,
- छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य प्रचार समिति, रायपुर द्वारा 14 फरवरी 1993 को जगदलपुर में सम्मानित,
- पड़ाव प्रकाशन, भोपाल द्वारा हिन्दी भवन, भोपाल में 30 मई 1992 को सम्मानित,
- भोपाल में ही एक साहित्यिक संस्था "समय" की गोष्ठी में 1992 में सम्मानित
- मध्यप्रदेश लेखक संघ, भोपाल द्वारा 15 जुलाई 1995 को "अक्षर आदित्य" सम्मान से अलंकृत,
- 08 मार्च 1998 को "बख्शी सृजन पीठ" भिलाई द्वारा जगदलपुर में सम्मानित,
- 2004 में छत्तीसगढ़ शासन के पं. सुन्दरलाल शर्मा साहित्य सम्मान से अलंकृत