लाक्षागृह
![]() | इस लेख को विकिफ़ाइ करने की आवश्यकता हो सकती है ताकि यह विकिपीडिया के गुणवत्ता मानकों पर खरा उतर सके। कृपया प्रासंगिक आन्तरिक कड़ियाँ जोड़कर, या लेख का लेआउट सुधार कर सहायता प्रदान करें। अधिक जानकारी के लिये दाहिनी ओर [दिखाएँ] पर क्लिक करें।
|
![]() | इस लेख का लहजा विकिपीडिया के औपचारिक लहजे को नहीं दर्शाता है। अधिक जानकारी वार्ता पृष्ठ पर मिल सकती है। |
लाक्षागृहम् महाभारत के अट्ठारह पर्वों में से एक पर्व है।
निषाध्या: पंचपुत्राया: सुप्ताया...
पुरोचनस्य चात्रेव..
एक भील माता अपने पांच पुत्रों के साथ सोई हुई ,और लाक्षागृह का निर्माता पुरोचन ,दुर्योधन का मंत्री, भी इसमें जल मरा था[1]
परिचय
[संपादित करें]लाक्षागृह एक भवन था जिसे दुर्योधन ने पांडवों के विरुद्ध एक षड्यंत्र के तहत उनके ठहरने के लिए बनाया था। इसे लाख से निर्मित किया गया था ताकि पांडव जब इस घर में रहने आएं तो चुपके से इसमें आग लगा कर उन्हें मारा जा सके। यह वार्णावत (वर्तमान बरनावा) नामक स्थान में बनाया गया था। पर पांडवों को यह बात पता चल गई थी। वे सकुशल इस भवन से बच निकले थे।

लाक्षागृह के भस्म होने का समाचार जब हस्तिनापुर पहुँचा तो पाण्डवों को मरा समझ कर वहाँ की प्रजा अत्यन्त दुःखी हुई। दुर्योधन और धृतराष्ट्र सहित सभी कौरवों ने भी शोक मनाने का दिखावा किया और अन्त में उन्होंने पाण्डवों की अन्त्येष्टि करवा दी।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]- ↑ दिनेश. शर्मा.