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रोगजनक

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पपीता के पत्ते के ऊपरी सतह पर 'ब्लैक स्पॉट' नामक रोग - यह ऐस्पेरिस्पोरिअम कैरिकी (Asperisporium caricae) नामक कवक के कारण होता है।

रोगजनक (pathogen) उन्हें कहा जाता है, जिनके कारण कई तरह के बीमारियों का जन्म होता है। इसमें विषाणु, जीवाणु, कवक, परजीवी आदि आते हैं। यह किसी भी जीव, पेड़-पौधे या अन्य सूक्ष्म जीवों को बीमार कर सकते हैं। मानव में जीवों के कारण होने वाले रोग को भी रोगजनक रोगों के रूप में जाना जाता है।[1]

शैवाल एकल-कोशिका वाले सुकेन्द्रिक (यूकेरियोट) हैं, जो आमतौर पर गैर-रोगजनक होते हैं, हालांकि इनके रोगजनक किस्में भी मौजूद हैं। इन रोगजनक क़िस्मों में प्रोटोथेका नामक शैवाल भी आता है। इसके कारण कुत्तों, बिल्लियों, मवेशियों और मनुष्यों में प्रोटोथेकोसिस नामक रोग होता है। प्रोटोथेका एक प्रकार का हरे रंग का शैवाल होता है, जिसमें क्लोरोफिल की कमी होती है। यह शैवाल अक्सर मिट्टी और सीवेज में पाया जाता है। मानवों में प्रोटोथेकोसिस नामक दुर्लभ संक्रमण का अधिकांश मामलों में यही कारण होता है।

ज़्यादातर जीवाणु या बैक्टीरिया, जो लंबाई में 0.15 से 700 μM के बीच हो सकते हैं, मानव के लिए हानिरहित या फायदेमंद होते हैं। हालांकि जीवाणुओं की एक छोटी सूची में कुछ रोगजनक जीवाणु भी आते हैं, जो संक्रामक रोगों का कारण बनते हैं। ऐसे जीवाणु कई तरह से बीमारी पैदा कर सकते हैं। इनमें से एक तरीका है, जिसमें वे उस जीव की कोशिकाओं को सीधे प्रभावित करते हैं और एंडोटॉक्सिन का उत्पादन करते हैं, जो उस जीव की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है या हमारे रोग प्रतिरोधक प्रणाली को ऐसा दिखाती है कि वह कोशिका खराब हो चुकी है।

कवक या फफूंद

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कवक या फफूंद एक प्रकार के जीव हैं, जो सुकेन्द्रिक (यूकेरियोट) होते हैं और रोगजनक के रूप में कार्य करते हैं। अब तक लगभग 300 ज्ञात प्रजातियों का पता चला है, जो मनुष्यों के लिए रोगजनक का कार्य करते हैं। आमतौर पर कवक बीजाणुओं का आकार 4.7 μm (माइक्रोमीटर) से कम होता है, हालांकि कुछ इससे बड़े आकार के भी होते हैं।

प्रायन (Prion) उल्टे-पुल्टे गलत तरीके से मुड़े हुए प्रोटीन होते हैं, जो संक्रमणीय होते हैं और मस्तिष्क में सामान्य प्रोटीन के असामान्य मोड़ को प्रभावित कर सकते हैं।

वायरोइड

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वायरोइड और वायरस के बीच भ्रमित न हों। वायरोइड ज्ञात संक्रामक रोगजनकों में से सबसे छोटा होता है। यह केवल गोलाकार, एकल-धागे वाला आरएनए होता है, जिसमें कोई प्रोटीन का आवरण नहीं होता है।

इन रोगजनकों के कारण चेचक, इनफ्लुएंजा, गलसुआ, खसरा, कोरोना,[इबोला वायरस रोग|इबोला]] और रूबेला आदि रोग हो सकते हैं। समान्यतः इसकी लंबाई 20-300 नैनोमीटर के मध्य होती है।

अन्य परजीवी

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सन्दर्भ

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  1. "MetaPathogen - about various types of pathogenic organisms". Archived from the original on 5 अक्तूबर 2017. Retrieved 15 January 2015. {{cite web}}: Check date values in: |archive-date= (help)

बाहरी कड़ियाँ

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