रैले प्रकीर्णन
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प्रकीर्णन की शक्ति निम्न लिखित दो बातों पर निर्भर करती है
- प्रकाश की तरंग दैर्घ्य पर तथा
- उन पिंडों (कणों) के आकार पर, जो प्रकीर्णन का कारण बनते हैं।
यदि ये कण (अति सूक्ष्म) आपतित प्रकाश की तरंगदैर्घ्य से बहुत छोटे हों, तो प्रकीर्णन का मान तरंगदैर्घ्य की चतुर्थ घात (λ⁴) के व्युत्क्रमानुपाती होता है इसे रैले का प्रकीर्णन नियम कहते हैं। गणितीय रूप में
I = 1/λ⁴
जहाँ λ प्रकाश की तरंगदैर्घ्य है। उपर्युक्त सूत्र से यह स्पष्ट रूप से पता चलता है कि प्रकाश की तरंगदैर्घ्य जितनी छोटी होगी प्रकाश का प्रकीर्णन उतना ही अधिक होगा। इसी कारण से बैंगनी रंग का प्रकीर्णन सबसे अधिक एवं लाल रंग का प्रकीर्णन सबसे कम होता है।