राष्‍ट्रीय वनस्‍पति स्‍वास्‍थ्‍य प्रबंधन संस्‍थान

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पादप स्वास्थ्य के प्रबंधन क्षेत्र में उभरती हुई चुनौतियों का सामना करने के लिए बड़े पैमाने पर कार्यात्‍मक शैली में लचीलापन लाने, व्‍यापक तकनीकियों को मजूबत करने के क्रम में तथा राष्‍ट्रीय वनस्‍पति स्‍वास्‍थ्‍य प्रबंधन संस्‍थान को भारत के कृषि उत्‍पादन में बढ़ोत्‍तरी लाने में निर्णायक भूमिका को देखते हुए कृषि मंत्रालय, भारत सरकार के कृषि एवं सहकारिता विभाग ने संकल्‍प फा.नं. 20-62/2007—पीपी I, दिनांक 13 अक्‍टूबर, 2008 के तहत् इस संस्‍थान को एक स्‍वायत्‍त निकाय में तबदील करने का निर्णय लिया था। कृषि मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत एक स्‍वायत्‍त निकाय ‘राष्‍ट्रीय वनस्‍पति स्‍वास्‍थ्‍य प्रबंधन संस्‍थान’ के रूप में 24 अक्‍टूबर, 2008 को आंध्र प्रदेश सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 2001 (2001 के अधिनियम सं.35) के अन्‍तर्गत पंजीकृत(सं.1444, 2008) में किया गया।

इतिहास[संपादित करें]

केंद्रीय पौध संरक्षण प्रशिक्षण संस्थान (सीपीपीटीआई) वर्ष1966 में पौध संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के तहत पौध संरक्षण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मानव संसाधन विकास हेतु स्थापित किया गया था। संस्थान का प्रमुख उद्देश्य राज्यों/संघशासित क्षेत्रों के कृषि विभागों और केंद्र सरकार में सुयोग्य पीड़क प्रबंधन कर्मी तैयार करना था, जो कृषकों को कृषि-संबंधी अनिवार्य प्रशिक्षण प्रदान कर सकें। पौध संरक्षण संबंधी विभिन्‍न पहलूओं पर मानव संसाधन विकास के दृष्‍टिकोण से दीर्घ एवं लघु प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का आयोजन करने की जिम्‍मेदारी इस संस्‍थान को सौंपी गई है। सन् 1974 में संस्‍थान को गतिविधियों के लिए तब प्रोत्‍साहन मिला, जब संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की अन्‍तर्राष्‍ट्रीय सहायता से संस्‍थान को विकसित करने के लिए यूएनडीपी परियोजना के तहत् वर्ष 1974 से 1980 के दौरान अधिक से अधिक प्रभावी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के उद्देश्‍य से 1.3 मिलियन डॉलर की वित्‍तीय सहायता प्रदान की गई। वर्षों के बाद संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ के एफएओ द्वारा संस्‍थान को क्षेत्रीय प्रशिक्षण केन्‍द्र के तौर पर मान्‍यता प्राप्‍त हुई एवं साथ ही विश्‍व बैंक सहायता प्राप्‍त राष्‍ट्रीय कृषि विस्‍तार परियोजना-III के अन्‍तर्गत पौध संरक्षण प्रौद्योगिकी में उत्‍कृष्‍ट प्रशिक्षण केन्‍द्र के रूप में भी पहचान मिली है। ‘देश में पीड़क प्रबंधन दृष्‍टिकोण की मजबूतीकरण एवं आधुनिकीकरण’ चलाये जा रही स्‍कीम के घटकों में राष्‍ट्रीय पौध संरक्षण प्रशिक्षण संस्‍थान उनमें से एक था, जो बारहवीं पंचवर्षवीं योजना में लगातार जारी है।

उद्देश्य[संपादित करें]

क. पौध संरक्षण प्रौद्योगिकी, वनस्‍पति संगरोध एवं जैवसुरक्षा, फसल आधारित समेकित पीड़क प्रबंधन ओर पीड़कनाशी गुणवत्‍ता परीक्षण तथा निगरानी हेतु पीड़कनाशी अवशेष विश्‍लेषण आदि व अन्‍य संबंधित क्षेत्रों में कार्यरत सार्वजनिक तथा निजी दोनों क्षेत्रों में मानव संसाधन का विकास करना।

ख. वनस्पति संरक्षण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्‍धि वाले राज्‍य, क्षेत्रीय, राष्‍ट्रीय एवं अन्‍तर्राष्‍ट्रीय संस्‍थानों के बीच सुव्‍यवस्‍थित एवं सुनियोजित संपर्क विकसित करना।

ग. पौध संरक्षण प्रौद्योगिकी पर नवीनतम सूचनाओं के आदान-प्रदान करने हेतु केंद्रक(नोडल) एजेंसी/फोरम रूप में कार्य करना।

घ. पौध संरक्षण प्रौद्योगिकी पर सूचना एकत्रित करना और इसे व्यवस्थित कर राज्य विस्तार कर्मियों और किसानों के बीच प्रचार-प्रसार करना।

ङ. समस्या-समाधान तरीके से आधुनिक प्रबंध तकनीक पहचानना, मूल्‍यांकन करना और विकसित करना तथा इसका उपयोग कार्मिक प्रबंधन, संसाधन प्रबंधन, आदान(इनपुट) प्रबंधन में करना तथा अंतत: संगठनात्मक स्तर पर आक्रमण प्रबंधन हेतु करना।

च. आवश्‍यकतानुसार फील्‍ड कार्यक्रमों का आयोजन करना एवं वरिष्‍ठ तथा मध्यम स्तर के पदाधिकारियों हेतु प्रशिक्षण पादप संरक्षण कार्यक्रमों के निष्‍पादन हेतु पुन:प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना। कार्यक्रमों की अधिकतम पहुंच सुनिश्चित करने के लिए ‘प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण’ तरीका अपनाना।

छ. प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर प्रतिपुष्टि(फीडबैक) के लिए वनस्पति संरक्षण, एकीकृत पीड़क प्रबंधन, पीड़कनाशीप्रबंधन, वनस्पति संगरोध तथा पीड़कनाशी वितरण प्रणालियों व अवशेषों के क्षेत्र में उन्‍मुख आधारित अनुसंधान कार्यक्रम का आयोजन करना।

ज. वनस्‍पति संरक्षण प्रबंधन विषय से संबंधित विचारों का संग्रह करना तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संचार विकसित करना एवं प्रलेखीकरण करना।

झ. राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ संपर्क स्थापित करना और संस्थागत सहयोग एवं रोजगार के परामर्शदाताओं के कार्यक्रम के माध्यम से ज्ञान व जानकारियों का साझा करने हेतु नेटवर्क सृजन करना।

ञ. वनस्‍पति संरक्षण के विभिन्‍न क्षेत्र पारस्‍परिक आईपीएम, पीड़कनाशीप्रबंधन, वनस्पति संगरोध, जैव-सुरक्षा, स्वच्छता एवं पादपस्वच्छता (एसपीएस) तथा बाज़ार में पहुंच आदि मुद्दों पर नीति सहयोग केन्‍द्र सरकार के रूप में कार्य करना।

मिशन[संपादित करें]

राष्‍ट्रीय वनस्‍पति स्‍वास्‍थ्‍य प्रबंधन संस्‍थान की मुख्‍य भुमिका विस्‍तारण के क्षेत्र में प्रशिक्षण एवं अनुकूलनीय अनुसंधान केन्‍द्र एवं वनस्‍पति संरक्षण से संबंधित नीति विकास के जरिए मौजूदा पीड़क एवं रोग निगरानी तथा नियंत्रण प्रणाली, प्रमाणीकरण, मान्यता प्रणालियों की कुशलता में बढ़ोत्‍तरी कर राज्‍यों एवं भारत सरकार का सहयोग करना मुख्‍य लक्ष्‍य है। रावस्‍वाप्रसं सरकारी एवं निजी दोनों क्षेत्रों में संस्‍थानों के लिए अपनी सेवाएं प्रदान करती हैं।

पारंपरिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अलावा एनआईपीएचएम वनस्‍पति स्‍वास्‍थ्‍य एवं संगरोध क्षेत्र में परियोजनाएं, क्षमता वर्धन एवं अध्‍यापन सहित वृद्धिसंभावना वाले विपणन एवं एसपीएस करार से संबंधित अन्‍य पहलूओं पर कार्यों का भी निष्‍पादन करता है।

संस्‍थान को पड़ोसी देशों में क्षमता वर्धन के लिए उनके क्षेत्रों में वनस्‍पति संरक्षण एवं संगरोध क्षमता हेतु एक प्रमुख केन्‍द्र के तौर पर अन्‍तर्राष्‍ट्रीय भूमिका के रूप में विकसित करना है। क्षेत्रीय भूमिका में संस्‍थान का ध्‍यान अन्‍य देशों के क्षेत्रों से आये छात्रों को अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को आयोजन के बजाय प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण देने पर केन्‍द्रित है। यह संभव है कि इस तरह के दृष्‍टिकोणों को अपनाये जाने से वे अन्‍तर्राष्‍ट्रीय एवं अन्‍तर्सरकारी संस्‍थाएं आकर्षित होंगे, जिनका लक्ष्‍य क्षेत्र के भीतर फॉस्‍टर संवर्धित जैवसुरक्षा रहा है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]