रामग्राम

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रामग्राम के कोलिय कुल का इतिहास क्षत्रिय कोली सूर्यवंशी/नागवंशी /महावंश/महासम्मतवंशी कोली राजाऔ का एक गणराज्य था जो क्षत्रिय शाक्य और कोली समाज मे दोनौ मे रक्त की सूधता को बचाने के लिए इनहो आपस मे ही शादी की और ये क्षत्रिय कुलीन परिवार है जो आज भी भारत देश मे विद्यमान है। अयौध्या के वैदिक काल के चक्रवर्ती सम्राट राजा मान्धाता कोली सूर्यवंशी के वंशज है श्री मान्धाता कोली के पिता राजा युवनाशव है जिसने अयौध्या बसाई थी इतिहास मे राजा युवनाशव की संतान को कोलिय लिखा है जो सिधुं नदी के किनारे के पास बहुत समय तक बसे हुए थे और श्री राजा मान्धाता कोली के राजा मुचकुंद कोली जिसने देवासुर सग्राम के युध्द मे देवताऔ की सहायता की थी और देवताऔ को जित हासील हुई थी और पुत्र राजा अंबरीष कोली ये अयोध्या के बहुत प्रक्रमी राजा थे जिसने एक छत्र राज किया सूर्य उदय से सूर्य के असत होने जहा तक तीसरे पुत्र राजा पुरूकुत्सथ कोली इन्हे कही कही असित के नाम से भी जाना जाता है और पचास कन्या थी जो सौभरी ऋषि को ब्याही थी क्षत्रिय कोलीयो का शासन दैवदह और रामग्राम पर था और बहुत काल तक ये शाक्य के नाम से जाने जाते रहे है शाक्य कोली समाज एक ही समाज है जिसकी रक्त सम्बध है और कोलिय कुल के असत होने के बाद ये मोरिय वंश के नाम से जाने जाते है और मोरिय वंश का शासन पिप्ललीवन मे था जो कोली क्षत्रियो का एक गण संघ था कोली कुल मे सम्राट राजा चन्द्रवरध्न कोली हुए और ये मगध के राजा थे जिसका प्रमाण हमे दिव्यादान बौध्द ग्रथ मे मिलता है इसके बाद सम्राट चन्द्रगुप्त और सभी हुए। आज ये कोली जाति का संघ बहुत सी शाखाऔ मे बंटा है। और रामग्राम मे कोलियो एक बौध्द सतुप बनवाया जो गौतम बुद्ध की असतिया रखी गयी है बहा। रामग्राम के कोली दैवदह के कोली कपिल्वसतु के शाक्य कोली पिप्ललीवन के मोरिय कोली ये सभी एक ही है ये नौ गणराज्य है जो कोली वंशीयो का इतिहास है।