रानी हिराई आत्राम

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भारत में शाहजहाँ ने मुमताज के लिये ताज महल बनाया सभी को पता है पर एक गोंड रानी हिराई आत्राम ने अपने पति की याद में भव्य समाधी बनायीं यह किसी को नहीं पता है।

दक्षिण गोंडवाना साम्राज्य का विशाल साम्राज्य कन्हान नदी, आभोर के संगम, पवनार - वर्धा के संगम तथा गोदवरी- इंद्रावती पामल गौतमी परलकोट अंधरी मूल नदियों के संगम झरपट- इराई नदी के संगम में बसा अनेक किल्लो का चांदागढ़ राज्य था । ये पुरातत्व के एक धरोहर है।

रानी हिराई आत्रम

अपने पति राजा विर शाह के मरणोपरांत सन् 1704 से लगभग 15 साल महारानी हिराई ने गोंडवाना साम्राज्य की बागडोर संभाली। एक सशक्त महिला शासक के रूप में उनका कार्यकाल याद किया जाता है। महारानी हिराई ने अनेक लोकोपयोगी कार्य किये। उन्होंने आत्राम राजवंश के पूरखों के समाधी, राजा विर शाह की समाधी स्थल, कई किले, महल, तोपें, तालाब, घाट, नहर, बाजार हाट आदि बनवाए। शिक्षा, कला-संगीत को बढ़ावा दिया | महारानी हिरई ने स्वर्ण, चाँदी और तांबे के सिक्के चलवाए। प्रजा स्वर्ण मुद्रा में लगान देती थी।

रानी हिराई ने अनेक जनकल्याण कार्य कराये। ताडोबा के जंगल में वन्य प्राणियों के लिए ताडोबा का तालाब बनवाया । घोडादेहि का तालाब जंगलों में वन्य प्राणियों के लिया पानी और पक्षी विहार करने के लिया जल विहार बनवाई थी। वर्धा, वेनगंगा, इराईनदी, झरपट नदी में घाट तथा नावों से लोग नदी पर करते रहते थे। संपूर्ण राज्यों के किलो में "हाथी पर शेर" के पत्थर के राज्य चिन्ह बने थे। रानी हिरई अपने मुद्रा चांदागढ़ के पूर्व में खाडक्या बल्लाडशा के स्वर्ण, चाँदी और तांबे के सिक्के चलते थे। जो दूसरे राज्यों में भी उन सिक्कों का मूल्य थे पूतरि 2 टोला का एव 1 टोला का मुद्रा का प्रचलित था।

अपनी 15 वर्ष की शासनकाल राज्य की सुरक्षा समृद्धि और भावी राजा गोदपुत्र को बीस वर्ष के आयु तक अच्छे शासक बने के लिया सभी योग्यताओं से शिक्षित किया और ई सन 1719 में रानी ने पुत्र को राज गद्दी सौप दीं। इसके पुत्र राम शाह को चांदागढ़ की किलों की चांदा में फांदा की राजनीती को अच्छे तरह से प्रशिक्षित किया। सन् 1728 में 65 वर्ष की आई में लिंगोवासी हो गयी। राजा विर शाह के समाधी स्थल के पास ही रानी हिराई की समाधी है। उनके प्रेम की यादगार में गोंडवाना में अजर अमर हो गया।

महारानी हिराई का राज्य काल मुग़ल सल्तनत, मराठा, बहमनी, सुल्तान और अपने ही निज परिवार से जीवन भर युद्ध संघर्ष करते बिता। उन्होंने अपने शासनकाल में 16 युद्ध लड़ा और सभी को जीता। फिर भी वह एक ऐसी लौह गोंड रानी जैसे धीरवीर अदम्य उत्साही योद्धा की तरह लड़ती रहीं। अपने 15 वर्ष की शासनकाल राज्य की सुरक्षा, समृद्धि एवं खुशहाली के साथ अनेक सुधर कार्य करते हुए समय बिताया।