राजीव गांधी आवास योजना
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भारत सरकार द्वारा शहरी क्षेत्रों में झुग्गी झोपडियों से मुक्ति दिलाने और गरीबों को अपना घर का सपना पूरा कराने में सहायता के लिए इस योजना की शुरुआत की गई। 2 जून 2011 को इस योजना के पहले चरण को मंजूरी दी गई।
केंद्र सरकार ने शहरों को स्लम मुक्त करने के उद्येश्य हेतु राजीव गांधी आवास योजना नामक एक परियोजना को देश भर में लागू करने का निर्णय लिया। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2 जून 2017को राजीव गांधी आवास योजना के तहत इसे देश के 250 शहरों में लागू करने का प्रस्ताव पारित किया। राजीव गांधी आवास योजना एक लाख से ज्यादा आबादी वाले हर शहर में लागू की जानी है। साथ ही इससे लाभान्वित परिवारों को आवास का मालिकाना हक भी दिया जाना है। केंद्र सरकार ने इसके साथ ही शहरों में रहने वाले गरीबों को आसानी से घर बनाने के लिए कर्ज मिल सके, इसके लिए एक हजार करोड़ रुपये का कोष भी बनाया। गृह मंत्री पी चिदंबरम के अनुसार केंद्र सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक देश को स्लम मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। केंद्र सरकार ने राजीव गांधी आवास योजना को लागू करने में राज्यों की भूमिका अहम बना दी। इसके लिए हर राज्य को अपनी-अपनी योजना केंद्र से साझा करना है, इसके बाद ही उन्हें संबंधित राशि की भुगतान की जाएगी. राजीव गांधी आवास योजना का लक्ष्य दो तरह से काम करना है। पहला या तो मौजूदा स्लम को ही विकसित किया जाना है या फिर स्लम को किसी बाहरी जगह ले जाना है। हालांकि दोनों परिस्थितियों में योजना राज्य सरकार की ही रहेगी. इस योजना से स्लम में रहने वाले लगभग 3.2 करोड़ भारतीय लोगों को बेहतर जीवनशैली प्रदान की जा सकती है।
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