यौन क्रान्ति

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यौन_क्रान्ति के चार सांकेतिक बटन

यौन क्रान्ति मूलतः पश्चिमी सभ्यता से उभरने वाली सोच है जो यौन मामलों में पारम्परिक धारणाओं को चुनौति देती है।

यौन क्रान्ति का श्रेय डॉक्टर एलफ़्रेड किंसी को जाता है। सितंबर 1953 में सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर एलफ़्रेड किंसी की ऐसी रिपोर्ट छपी जिसने अमरीका में सनसनी फैला दी. ये रिपोर्ट थी 'द सेक्शुअल बिहेवियर ऑफ़ द ह्यूमन फ़ीमेल' यानी महिलाओं का यौन व्यवहार। इससे पहले साल 1948 में पुरुषों के यौन व्यवहार के बारे में छपी अपनी रिपोर्ट से डॉक्टर किंसी पहले ही अमरीकी समाज को चौंका चुके थे। उस रिपोर्ट के मुताबिक़ समाज में शादी से पहले यौन संबंध काफ़ी प्रचलित था, कुछ पुरुष दूसरे पुरुषों की पत्नियों के साथ संबंध बनाते थे और बहुत से अमरीकी पुरुषों के समलैंगिक और बाइसेक्शुअल रिश्ते थे।[1]

भारत में यौन क्रान्ति[संपादित करें]

भारत में जागरूकता की कमी या शर्मिंदगी के कारण सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच न होने के कारण दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं। वर्ष 2012 में, किशोरों की प्रजनन दर ने भारत के कुल प्रजनन दर में 17 फीसदी का योगदान दिया है और 20 से कम उम्र के महिलाओं में 14 फीसदी जन्म अनियोजित थे, जैसा कि ‘जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड डाइअग्नास्टिक रिसर्च’ के वर्ष 2015 के अध्ययन में बताया गया है। भारत की 48.5 मिलियन गर्भधारण में से आधे अनियंत्रित थे, जैसा कि FactChecker की दिसंबर, 2017 की रिपोर्ट में बताया गया है। फैमली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफपीए) की निदेशक अमिता धनू ने 19 वर्षीय साना (बदला हुआ नाम) का उदाहरण दिया है, जो एक रिश्ते में थी और केवल आपातकालीन गर्भनिरोधक के बारे में पता था। इसलिए, जब भी उन्हें असुरक्षित यौन संबंध बनाए थे, उन्होंने केवल आपातकालीन गर्भ निरोधकों का इस्तेमाल किया था। इसका परिणाम यह था कि जब साना के पिरीअड एक बार नहीं आया तो उसने गर्भपात करने के लिए एक आपातकालीन गर्भनिरोधक लिया। लेकिन फिर उनका पिरीअड नहीं आया और देश भर के 39 एफपीए इंडिया क्लीनिकों में से एक में वह आईं और वहां उन्हें पता लगा कि वो गर्भवती हैं - अपातकालीन गर्भनिरोधक गर्भावस्था के बाद गर्भपात नहीं कर सकते हैं। उन्होंने फिर से असुरक्षित यौन संबंध बनाया। उसे ओरल गर्भ निरोधकों के बारे में सलाह दी गई और एक सुरक्षित गर्भपात किया गया। इस प्रकार से देखा जाए तो दबे तौर पर भारत में भी वैश्विक यौन क्रान्ति के असर पाए जाए जाते हैं[2]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]