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मातरीकुंडीया बांध

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मातृकुंडिया बांध चित्तौड़गढ़ ज़िले में है और यह बनास नदी पर बना है, जिसकी भराव क्षमता 27.5 फिट है। इस बांध का निर्माण 1972 में शुरू हुआ था और 1981 में पूर्ण हुआ था। इस बांध का जलग्रहण क्षेत्र 3485 वर्ग किलोमीटर है, लम्बाई 8400 मीटर है[1] इस बांध में 52 गेट है,जो कि राज्य के किसी भी बांध में सर्वाधिक है।[2]

धार्मिक महत्व

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मातृकुंडिया को मेवाड़ का हरिद्वार भी कहा जाता है।[3] मान्यता है कि भगवान शिव की तपस्या करने के पश्चात परशुराम ने इसी कुंड में स्नान किया था, जिससे उन्हें मातृ हत्या के पाप से मुक्ति मिली थी, इसी कारण इसका नाम मातृकुंडिया पड़ा।[4]

  1. "Matrikundiya Dam, World Bank ENVIRONMENT AND SOCIAL DUE DILIGENCE REPORT"(PDF)
  2. "ऑनलाइन मॉनिटरिंग: गंभीरी और मातृकुंडिया बांध की ऑनलाइन मॉनिटरिंग होगी, 33 करोड़ से होंगे हाईटैक". Dainik Bhaskar. 2020-09-21. Retrieved 2022-05-04.
  3. Team, Zee Rajasthan Web (2022-03-01). "शिवरात्रि के अवसर पर मातृकुंडिया तीर्थ जानें का क्या है लाभ, जानें मेवाड़ के हरिद्वार का रहस्य". Zee News. Retrieved 2022-05-04.
  4. Singh, Garima (2018-05-21). "यह है मेवाड़ का हरिद्वार, राजस्थान की धरती पर सुखों का समंदर". नवभारत टाइम्स. Retrieved 2022-05-04.