भ्रमि

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क्षैतिज प्रकाशगतिकीय अक्षिदोलन (nystagmus) : भ्रमि का एक लक्षण यह भी हो सकता है।

भ्रमि या वर्टिगो (Vertigo /ˈvɜː(ɹ)tɨɡoʊ/) एक प्रकार का घुमनी या चक्कर-आना (dizziness) है जिसमें व्यक्ति गति की अनुभूति होती है जबकि वास्तव में वह स्थिर होता है। यह अंतःकर्ण के प्रघाण तंत्र (vestibular system) की दुष्क्रिया (dysfunction) के कारण उत्पन्न होता है। भ्रमि की दशा में जी-मचलता (nausea) है और उल्टी होती है। खड़े रहने या चलने में कठिनाई होती है।

भ्रमि, तीन तरह की होती है-

  • वस्तुनिष्ठ (objective) - चींजे रोगी के चारो ओर घूमती हुई प्रतीत होतीं हैं।
  • 'व्यक्तिनिष्ठ (subjective) - रोगी स्वयं घूमता हुआ अनुभव करता है।
  • छद्मभ्रमि (pseudovertigo) - रोगी के सिर के भीतर घूमने का आभास होना

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