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Arvid Liljelund - Man Singing Hymn - A I 187 - Finnish National Gallery.jpg
एसवी का आदमी गायन भजन (1884)

भारतीय संगीत के मुख्य रूप से तीन भेद किये जाते हैं। शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत और लोक संगीतभजन सुगम संगीत की एक शैली है। इसका आधार शास्त्रीय संगीत या लोक संगीत हो सकता है। इसको मंच पर भी प्रस्तुत किया जा सकता है लेकिन मूल रूप से यह किसी देवी या देवता की प्रशंसा में गाया जाने वाला गीत है।जैसे भगवान जम्भेश्वर भगवान रामदेव जी व तेजा जी के लिए गाये जाते है राजस्थान में [1] सामान्य रूप से उपासना की सभी भारतीय पद्धतियों में इसका प्रयोग किया जाता है। भजन मंदिरों में भी गाए जाते हैं। हिंदी भजन, जो आम तौर पर हिन्दू अपने सर्वशक्तिमान को याद करते हैं या गाते हैं|

कुछ विख्यात भजन रचनाकारों की नामावली - मीराबाई, सूरदास, तुलसीदास, रसखान

हिंदी भजन हमारे धार्मिक संस्कार का अहम हिस्सा हैं। भजन सुनने और गाने से मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। हमारी संस्कृति में भजन अपनी खास महत्ता रखते हैं। देवी-देवताओं की पूजा के समय भजन गाये जाते हैं।

हिंदी भजन के मूल आधार काव्य और धुन होते हैं। भजनों के गायक लोग अपनी आवाज का इस्तेमाल करके आपको एक अलग से दुनिया में ले जाते हैं। ये भजन ध्यान केंद्रित होते हैं, जिससे उनमें सुधार लाने की ताकत पैदा होती है।

हिंदी भजनों के तेजी से बढ़ते प्रचार-प्रसार को देखते हुए अब ये भजन दुनिया के हर कोने में सुनाई दे रहे हैं। आजकल विभिन्न संगीत संस्थान और संगीत एप्लिकेशन में भजन के विभिन्न प्रकार उपलब्ध हैं।

इसलिए यह सही होगा कि हम सभी लोग हिंदी भजन सुने और इनका समर्थन करें। असाधारण तरीके से लिखे गए शब्दों ने इन भजनों को बहुत अलग बनाया है। हमारा जीवन भ्रमण शांति, स्वयं के विकास और परम उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए धर्मात्मा के सलाह द्वारा हेतु होना चाहिए.

इसलिए हमें हिंदी भजनों की अद्भुत महत्ता को समझना चाहिए और इन्हें हमारे जीवन का अभिन्न अंग बनाये रखना चाहिए।


सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "जानें, भजन-कीर्तन में अंतर और इसकी महिमा". aajtak.intoday.in. मूल से 30 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-07-25.