बृहस्पति देव

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बृहस्पति देव कौन है[संपादित करें]

बृहस्पति देव सभी देवताओं के गुरु हैं। नवग्रहों में भी बृहस्पति देव को विशेष स्थान प्राप्त है। बृहस्पति देव एक तपस्वी थे जिन्हे तीक्ष्णशृंग भी कहा जाता है। बृहस्पति देव धार्मिक प्रकृति के होने के साथ साथ अत्यंत शक्तिशाली योद्धा भी हैं। एक बार उन्होंने इंद्र देव को परास्त करके उनसे गायों को छुड़ाया था इसलिए युद्ध में विजय की लालसा रखने वाले वीर भी इनकी पूजा करते हैं ताकि उन्हें विजय की प्राप्ति हो।बृहस्पति देव देवताओं के पुरोहित हैं

बृहस्पतिवार की कथा brhaspativaar kee katha[संपादित करें]

एक दिन इन्द्र बड़े अंहकार से अपने सिंहासन पर बैठे थे और बहुत से देवता, ऋषि, गन्धर्व, किन्नर आदि सभा में उपस्थित थे। जिस समय बृहस्पति जी वहां पर आए तो सबके सब उनके सम्मान के लिए खवे हो गए परन्तु इन्द्र खड़ा न हुआ, यद्यपि वह सदैव उनका आदर किया करता था। बृहस्पति जी अपना अनादर समझते हुए वहां से चले गए। तब इन्द्र को बड़ा शोक हुआ कि देखो मैने बृहस्पति जी का अनादर कर दिया, मुझ से बड़ी भारी भुल हो गई। गुरूजी के आशीर्वाद से मुझको यह वैभव मिला है। उनके कोध से यह नष्ट हो जायेगा। इसलिए उनके पास जाकर क्षमा मांगनी चाहिए जिससे उनका, कोध शांत हो जाए और मेरा कल्याण होवे । ऐसा विचार कर इन्द्र उनके स्थान पर गए ।

बृहस्पतिवार की आरती brhaspativaar kee aaratee[संपादित करें]

ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा। छिन छिन भोग लगाऊं कदली फल मेवा॥ ॐ

तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी। जगत पिता जगदीश्वर तुम सबके स्वामी॥ ॐ

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता। सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता॥ ॐ

बृहस्पति स्तोत्र श्री गुरु बृहस्पति देव चालीसा[संपादित करें]

बृहस्पतिवार का व्रत[संपादित करें]

बृहस्पति का दिन श्री हरि विष्णु जी को समर्पित किया गया है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करना अति शुभ माना गया है। धर्म ग्रंथों के मुताबिक यदि किसी शख्स की कुंडली में गुरु मजबूत नहीं है या फिर शादी में कई अड़चनों आ रही है, तो गुरुवार का व्रत काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके साथ ही ज्योतिषी द्वारा अविवाहित लोगों के लिए भी गुरुवार का व्रत रखने की सलाह दि जाती है। मान्यता है कि गुरुवार का व्रत करने से आपकी सारी परेशानियां हल हो जाती है। इसके साथ ही कुंडली का कमज़ोर गुरु ग्रह मजबूत होता है। बृहस्पतिवार का व्रत करना है तो किस तरह से आसानी के साथ आप यह व्रत कर सकते हैं,

बृहस्पति स्तोत्र Brihaspati Stotra[संपादित करें]

पीताम्बर: पीतवपु: किरीटी, चतुर्भुजो देवगुरु: प्रशान्त: !! दधाति दण्डं च कमण्डलुं च, तथाक्षसूत्रं वरदोsस्तु मह्यम् !! नम: सुरेन्द्रवन्द्याय देवाचार्याय ते नम: !! नमस्त्वनन्तसामर्थ्यं देवासिद्धान्तपारग: !!

बृहस्पति मंत्र[संपादित करें]

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः। ॐ बृं बृहस्पतये नमः।


ॐ गुरुदेवाय विद्मिहे वाणेशाय धीमहि ! तन्नो: गुरु: प्रचोदयात !ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।

ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:। ॐ गुं गुरवे नम:।

ॐ बृं बृहस्पतये नम:। ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:।,,