बाल अधिकार पर सम्मेलन

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बाल अधिकार संरक्षण के लिए राष्ट्रीय आयोग (एनसीपीसीआर) सार्वभौमिकता और बाल अधिकारों की पवित्रता के सिद्धांत पर जोर देता है और देश की नीतियों संबंधित सभी बच्चे में तात्कालिकता के स्वर को पहचानता है। आयोग के लिए, 0 से 18 वर्ष आयु समूह के सभी बच्चों की सुरक्षा को समान महत्व का है। आयोग के लिए, बच्चे को भी आनंद मिलता है हर सही पारस्परिक रूप से मजबूत और दूसरे पर आश्रित के रूप में देखा जाता है। इसलिए अधिकार के उन्नयन का मुद्दा ही नहीं उठता। उसे 18 साल में उसके सभी अधिकारों का आनंद ले रहे एक बच्चे को वह पैदा होता है समय से उसके सारे हकों के लिए उपयोग पर निर्भर है। इस प्रकार की नीतियों उपायों सभी चरणों में महत्व ग्रहण. आयोग के लिए, बच्चों के सभी अधिकार बराबर महत्व के हैं।

जनादेश[संपादित करें]

बाल मजदूरी उन्मूलन हेतु आयोग की रणनीति व सिफारिशें

शारीरिक दंड पर प्रतिबंध अधिनियम के अंतर्गत आयोग के निम्नलिखित दायित्व हैं :

(क) किसी विधि के अधीन बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए सुझाये गये उपायों की निगरानी व जांच करना जो उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए वर्तमान केंद्र सरकार को सुझाव देते हैं|

(ख) उन सभी कारकों की जांच करना जो आतंकवाद, सांप्रदायिक हिंसा, दंगों, प्राकृतिक आपदा, घरेलू हिंसा, एचआईवी /एड्स, तस्करी, दुर्व्यवहार, यातना और शोषण, वेश्यावृत्ति और अश्लील साहित्य से प्रभावित बच्चों के खुशी के अधिकार व अवसर को कम करती है और उसके लिए उपचारात्मक उपायों का सुझाव देना|

(ग) ऐसे संकटग्रस्त, वंचित और हाशिये पर खड़े बच्चे जो बिना परिवार के रहते हों और कैदियों के बच्चों से संबंधित मामलों पर विचार करना और उसके लिए उपचारात्मक उपायों का सुझाव देना|

(घ) समाज के विभिन्न वर्गों के बीच बाल अधिकार साक्षरता का प्रसार करना और बच्चों के लिए उपलब्ध सुरक्षोपाय के बारे में जागरूकता फैलाना|

(ङ) केन्द्र सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी अन्य प्राधिकारी सहित किसी भी संस्थान द्वारा चलाए जा रहे सामाजिक संस्थान जहां बच्चों को हिरासत में या उपचार के उद्देश्य से या सुधार व संरक्षण के लिए रखा गया हो, वैसे बाल सुधार गृह या किसी अन्य स्थान पर जहाँ बच्चों का निवास हो या उससे जुड़ी संस्था का निरीक्षण करना|

(च) बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन की जाँच कर ऐसे मामलों में कार्यवाही प्रारम्भ करना और निम्न मामलों में स्वतः संज्ञान लेना, जहाँ :

  • बाल अधिकारों का उल्लंघन व उपेक्षा होता हो
  • बच्चों के विकास और संरक्षण के लिए बनाये गये कानून का क्रियान्वयन नहीं किया गया हो बच्चों के कल्याण और उसे राहत प्रदान करने के लिए दिये गये नीति निर्णयों , दिशा-निर्देशों या निर्देश का अनुपालन नहीं किया जाता हो
  • जहाँ ऐसे मामले पूर्ण प्राधिकार के साथ उठाये गये हों
  • बाल अधिकार को प्रभावी बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय संधियों और अन्य अंतरराष्ट्रीय उपकरणों की आवधिक समीक्षा और मौजूदा नीतियों, कार्यक्रमों और अन्य गतिविधियों  का अध्ययन कर बच्चों के हित में उसे प्रभावी रूप से क्रियान्वित करने के लिए सिफारिश करना
  • बाल अधिकार पर बने अभिसमयों के अनुपालन का मूल्यांकन करने के लिए बाल अधिकार से जुड़े मौजूदा कानून, नीति एवं प्रचलन या व्यवहार का विश्लेषण व मूल्यांकन करना और नीति के किसी भी पहलू पर जाँच कर प्रतिवेदन देना जो बच्चों को प्रभावित कर रहा हो और उसके समाधान के लिए नये नियम बनाने का सुक्षाव देना
  • सरकारी विभागों और संस्थाओं में कार्य के दौरान व स्थल पर बच्चों के विचारों के सम्मान को बढ़ावा देना और उसे गंभीरता से लेना
  • बाल अधिकारों के बारे में सूचना उत्पन्न करना और उसका प्रचार-प्रसार करना
  • बच्चों से जुड़े आँकड़े का विश्लेषण व संकलन करना
  • बच्चों के स्कूली पाठ्यक्रम, शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम और बच्चों की देखभाल करने वाले प्रशिक्षण कर्मियों के प्रशिक्षण पुस्तिका में बाल अधिकार को बढ़ावा देना और उसे शामिल करना

संरचना[संपादित करें]

केन्द्र सरकार द्वारा आयोग में निम्न सदस्यों को तीन वर्ष की अवधि के लिए नियुक्त किया जाएगा :

  • अध्यक्ष, जिसने बाल कल्याण को बढ़ावा देने के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया हो
  • छह अन्य सदस्य जिन्हें शिक्षा, बाल स्वास्थ्य, देखभाल, कल्याण, विकास, बाल न्याय, हाशिये पर पड़े उपेक्षित, अपंग व परित्यक्त बच्चों की देखभाल या बाल श्रम उन्मूलन, बाल मनोविज्ञान और कानून के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल हो
  • सदस्य सचिव, जो संयुक्त सचिव स्तर के समकक्ष होगा या उसके नीचे स्तर का नहीं होगा

शक्तियाँ[संपादित करें]

आयोग को निम्न मामलों में सिविल न्यायालय की सभी शक्तियाँ प्राप्त होंगी -

(क) देश के किसी भी हिस्से के किसी भी व्यक्ति को सुनवाई के लिए आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए आदेश देना, उसे लागू करवाना और शपथ का परीक्षण करना

(ख) किसी भी दस्तावेज की खोज व प्रस्तुति के लिए आदेश देना

(ग) हलफनामा पर साक्ष्य प्राप्त करना

(घ) किसी भी अदालत के कार्यालय से सार्वजनिक रिकॉर्ड या उसकी प्रति प्राप्त करना

(ङ) दस्तावेज के गवाह की जाँच के लिए आयोग का गठन करना

शिकायत प्रणाली[संपादित करें]

आयोग का एक प्रमुख जनादेश बाल अधिकार के उल्लंघन संबंधी शिकायत की जाँच करना है। आयोग के लिए यह भी जरूरी है कि वह बाल अधिकारों के गंभीर उल्लंघन की स्थिति में वह स्वतः संज्ञान लेकर मामले की जांच करें कि कौन से तत्व बच्चों को उनके  अधिकारों का आनंद उठाने से रोक रही है।

(क) आयोग के समक्ष वह शिकायत संविधान की 8 वीं अनुसूची में वर्णित किसी भी भाषा में की जा सकती है

(ख) इस प्रकार की शिकायत दर्ज कराने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा

(ग) शिकायत में मामले का पूर्ण विवरण शामिल होगा

(घ) यदि आयोग जरूरी समझे तो अन्य जानकारी / हलफनामा दाखिल करने के लिए कह सकती है

शिकायत करते समय यह सुनिश्चित कर लें कि उसमें निम्न चीजें स्पष्ट हों :

(क) शिकायत स्पष्ट और सुपाठ्य हो तथा किसी छद्म नाम से दाखिल नहीं किया गया हो

(ख) वैसे शिकायत के लिए कोई शुल्क नहीं लिया गया हो

(ग) जो मुद्दा उठाया हो वह संपत्ति के अधिकार व संविदा दायित्वों जैसे सिविल विवाद से जुड़ा हुआ नहीं हो

(घ) उठाया गया मुद्दा सेवा मुद्दों से संबंधित नहीं हों

(ङ) वह मामला संविधान के अंतर्गत गठित किसी आयोग या उसके अधीन कार्यरत किसी प्राधिकार के समक्ष लम्बित नहीं हो

(च) मामले का किसी आयोग द्वारा पहले ही निष्पादन नहीं कर दिया गया हो

(छ) किसी अन्य आधार पर आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर नहीं हो