बाग में येशु की प्राणपीड़ा

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गेथसेमनी में मसीह, हेनरिक हॉफमैन, 1886

गतसमनी बाग में येशु की प्राणपीड़ा (Agony in the Garden of Gethsemane) यीशु के जीवन की एक घटना है, जो अंतिम भोज के बाद और उनके विश्वासघात और गिरफ्तारी से पहले घटी, जो सब यीशु के दुःखभोग का हिस्सा थी, जिसके कारण उन्हें सूली पर चढ़ाया गया और उनकी मृत्यु हो गई । इस प्रकरण का वर्णन नये नियम के तीन सहदर्शी सुसमाचार में किया गया है। इन वृत्तांतों के अनुसार, यीशु, पीटर, यहुन्ना और याकूब के साथ, जैतून के पहाड़ पर गेथसमेन (गतसमनी) के बगीचे में प्रवेश करते हैं जहाँ उन्हें बहुत पीड़ा का अनुभव होता है और अपने आसन्न कष्टों से मुक्ति पाने के लिए प्रार्थना करते हैं, साथ ही परमेश्वर की इच्छा को भी स्वीकारते हैं।

यह प्रकरण ईसाई परंपरा में, विशेषकर कैथोलिक भक्ति प्रथाओं में एक महत्वपूर्ण घटना है। गार्डन में यीशु की पीड़ा क्रूस का धर्मग्रंथ मार्ग ( विया क्रुसिस का आधुनिक संस्करण) का पहला स्टेशन और डोमिनिकन रोज़री (माला विनति) का पहला "दुख के भेद" है, और यह यूखारिस्त आराधना में पवित्र घंटे की भक्ति के लिए प्रेरणा है। यह यीशु के जीवन को दर्शाने वाले ईसाई कला में लगातार एक विषय बना रहा है।