बागेश्री राग
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राग बागेश्री हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक राग है। यह राग काफी थाट से उत्पन्न हुआ है। गाना या बजाने का समय रात का दूसरा प्रहर माना जाता है।
स्वर
[संपादित करें]इस राग में गंधार (ग) और निषाद (नि) कोमल है। इस राग में आरोह में पंचम (प) रिषभ (रे) वर्जित है। कुछ लोग अवरोह में थोडा पंचम लगाते हैं।
आरोह
[संपादित करें]नि़ सा ग॒ म, ध नि॒ सां
अवरोह
[संपादित करें]सां नि॒ ध,म प ध, ग म ग॒ रे सा।
वादी और संवादी
[संपादित करें]इस राग का वादी स्वर मध्यम (म) और संवादी स्वर षड्ज (सा) है।
पकड़
[संपादित करें]ध नि सा,म ध नि ध ग॒ म म प, ध,ग म रे सा।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]- रागों की सूचीinsult 21jrut
सन्दर्भ
[संपादित करें]१. राग-बोध (प्रथम भाग). बा. र. देवधर.