बांसुरी वादक

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पिहानी, हरदोई, उत्तर प्रदेश के मशहूर बांसुरी वादक नवी अहमद खान रूहानी

कभी कान्हा की बांसुरी की मोहिनी धुन पर ब्रज गोपियां बेसुध हो जाया करती थी आज समय के बदलाव का प्रभाव ब्रज वासियों की रूचि पर देखा जा सकता है ब्रज वासियों की बांसुरी के प्रति अब वह प्रीत नजर नहीं आती है जो उनके मन में बसा करती थी ब्रज के लोग बांसुरी वादक के साधक और उपासक तो है पर बांसुरी से प्रेम नजर नहीं आ रहा है यह दर्द है नबी अहमद खान रुहानी का जो कान्हा की नगरी में कृष्ण भजन और देशभक्त के तराने सुना कर और बांसुरी बेचकर 2 जून की रोटी की कवायद में लगे हैं हरदोई जिले के रहने वाले नबी अहमद बांसुरी बेचने के लिए इस आस के साथ कृष्ण नगरी में इस आस के साथ पहुंचे कि कान्हा की नगरी में कम से कम बांसुरी के मुरीद मिलेंगे पर ऐसा हो ना सका बांसुरी बेचने के लिए गली गली में घूम कर बांसुरी पर कृष्ण के लोकप्रिय गीत के अलावा देश भक्ति के गीत सुनाते हैं और बांसुरी के खरीदने के लिए प्रेरित करने का प्रयास करते हैं लेकिन उनकी यह कवायद बेकार जाती है धुन शांत होने पर लोग हाथ झाड़ कर अपने गंतव्य की ओर चल पड़ते हैं जब बांसुरी नहीं बिकती है तो फिर नबी अहमद लोगों की फरमाइश पर पसंदीदा गाने या भजन की धुन सुना कर 5 या ₹10 लेकर दो रोटी का जुगाड़ करते हैं


Nabi Sahab has already been honored by Doordarshan Mathura and Bareilly.

But today the respected artists live on the streets.

साहब पहले से ही दूरदर्शन मथुरा एवं बरेली द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं यह मेरे बांसुरी गुरु हैं.

शाहजहांपुर। उत्तर प्रदेश के गांवों में संगीत का एक जादूगर बसता है। जो मुफलिसी की जिंदगी जी रहा है लेकिन इस कठिनाई ने भी उसकी बांसुरी की धुन को मद्दम नहीं पड़ने दिया है। कई सम्मान प्राप्त यह बांसुरी वादक अब गांवों की गलियों में घूम घूम कर संगीत का जादू बिखेर रहा है।

हजारों गांवों में घूम घूम कर बजा चुके हैं बांसुरी

हरदोई के शाहबाद में जन्मे 65 वर्षीय नवी मोहम्मद खां 45 वर्षों से बांसुरी के सुरों का जादू बिखेर रहे हैं। फिलहाल वह लंबे समय से शाहजहांपुर में रुके हैं। नवी मोहम्मद बांसुरी वादक पण्डित हरि प्रसाद चौरसिया को अपना आदर्श मानते हैं। कुछ साल पहले इन्हें लखनऊ दूरदर्शन ने बांसुरी की बेहतरीन प्रस्तुति के लिए सम्मानित भी किया। अब नवी मोहम्मद का जिस गांव में बसेरा हो जाता है वहां से ही अपनी बांसुरी की धुन से लोगों को अपनी तरफ खींच लेते हैं। उनका दावा है कि वो हर फिल्मी और धार्मिक गानों पर अपनी बांसरी से ऐसी धुन निकाल सकते हैं जो किसी को भी अपनी ओर खींच सकती है। नवी मोहम्मद अब तक 25 से 30 राज्यों के हजारों गांवों में घूम घूम कर बांसुरी बजा चुके हैं।

झलका दर्द

मुफसलिसी भी नवी मोहम्मद के संगीत प्रेम को कम नहीं कर पा रही है। भले ही गरीबी उनकी कमर तोड़ रही हो लेकिन वह आज भी बांसुरी के सुर को धीमा नहीं पड़ने देना चाहते। नवी मोहदम्मद का कहना है कि गांवों में घूम घूम कर बांसुरी इसलिए बजाते हैं ताकि कृष्ण की बांसुरी को जिंदा रखा जा सके। हालांकि बांसुरी वादकों का दर्द बयां करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है। नवी कहते हैं कि सरकार की बेरूखी के चलते उनका ये बांसुरी का संगीत धीरे-धीरे धीमा पड़ता जा रहा है।https://m-patrika-com.cdn.ampproject.org/v/s/m.patrika.com/amp-news/bareilly-news/nabi-muhammad-khan-flute-magic-in-uttar-pradesh-village-1266241/?amp_js_v=0.1&usqp=mq331AQECAEoAQ%3D%3D[मृत कड़ियाँ]

आज इनकी बांसुरी पर जब कोई गीत की धुन बजती है तब रोड पर चलने वाला हर शख्स मंत्रमुग्ध होकर सुनने के लिए रुक जाता है बांसुरी के माध्यम से लोगों को अपनी और खींच लेते हैं. इसे सुनकर संगीत प्रेमी उनके इनाम के रूप में कुछ पैसे दे देते हैं जिससे उनकी जीविका चलती है रात मेंं सोने के लिए रेलवे स्टेशन तो कभी बस स्टेशन जाते हैं जहांं उनके साथ दुर्व्यवहार व अन्य नुकसान होता रहता है.




सन्दर्भ[संपादित करें]