फास्टैग

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फास्टैग क्या है[1]

फास्टैग एक ऐसा device होता है जिसमें की Radio Frequency Identification (RFID) technology का इस्तमाल किया गया होता है टोल प्लाजाओं पर टोल कलेक्शन सिस्टम से होनेवाली परेशानियों का हल निकालने के लिए राष्ट्रीय हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा भारत में इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम शुरू किया गया है. इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम या फास्टैग स्कीम भारत में सबसे पहले साल 2014 में शुरू की गई थी. जिसे धीरे-धीरे पूरे देश के टोल प्लाजाओं पर लागू किया जा रहा है. फास्टैग सिस्टम की मदद से आपको टोल प्लाजा में टोल टैक्स देने के दौरान होने वाली परेशानियों से निजात मिल सकेगी. फास्टैग की मदद से आप टोल प्लाजा में बिना रूके अपना टोल प्लाजा टैक्स दें सकेंगे. आपको बस अपने वाहन पर फास्टैग लगाना होगा. आप ये टैग किसी आधिकारिक टैग जारीकर्ता या सहभागिता बैंक से खरीद सकते हैं.

फास्टैग कार्य कैसे करता है[संपादित करें]

आपका FASTag एक स्टीकर है जो आपके वाहन के विंडस्क्रीन पर चिपका होता है। यह स्टीकर Radio Frequency Identification Technology (RFID) पर काम करता है। जब आप टोल बूथ से गुजरते हैं, तो एक FASTag स्कैनर विंडस्क्रीन पर लगे स्टिकर को स्कैन करता है और लिंक किए गए खाते से स्वचालित रूप से टोल शुल्क काट लेता है ।

फास्टैग के फायदे[संपादित करें]

सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने टोल प्लाजा में टोल टैक्स देने के कारण लगने वाली गाड़ियों की लम्बी लाइन और खुले पैसे होने की समस्या को हल करने के लिए फास्टैग सिस्टम को देश के कई टोल प्लाजाओं पर शुरू किया है.


फास्टैग की मदद से आपका समय बचने के साथ-साथ आपके पेट्रोल या डीजल की भी बचत होगी.

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "FASTag", Wikipedia (अंग्रेज़ी में), 2022-07-09, अभिगमन तिथि 2022-08-10