फ़ारसी साम्राज्य
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फारसी साम्राज्य (ईसापूर्व 559-1935) फारस (आज का ईरान और उसके प्रभाव के इलाके) से शासन करने वाले विभिन्न वंशों के साम्राज्य को सम्मिलित रूप से कहा जाता है। फारस के शासकों ने अपना साम्राज्य आधुनिक ईरान के बाहर कई प्रदेशों तक फैला दिया था - इराक, अर्मेनिया, तुर्की, अज़रबैजान, अफ़गानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ताज़िकिस्तान, मध्यपूर्व, मिस्र आदि। लेकिन ये सभी प्रदेश हमेशा फारस के नियंत्रण में नहीं रहे थे। खुद फारस सातवीं से दसवीं सदी तक अरबों के प्रभुत्व में रहा था।
फारस पर शासन करने वाले विभिन्न वंश
[संपादित करें]- हखामनी वंश (ईसापूर्व 559 - ईसापूर्व 330)
सिकन्दर के आक्रमण के कारण पूरा साम्राज्य यवनों (ग्रीक, यूनानी) के हाथ चला गया था। सिकन्दर के सेनापतियों ने उसके साम्राज्य को आपस में बाँट लिया। सेल्यूकस नेक्टर इसमें से सबसे शक्तिशाली शासक बनकर उभरा। जल्द ही पार्थियनों ने यवनों का प्रभुत्व कर दिया। साम्राज्य के उत्तर पूर्व में यवनों का साम्राज्य बना रहा।
- पार्थियन (ईसापूर्व 184 - पहली सदी)
- सासानी वंश (दूसरी सदी - सातवीं सदी)
इसके बाद अरबों का शासन आया जिसमें पहले दमिश्क और फिर बग़दाद में स्थित खिलाफत ने इस्लामी साम्राज्य का शासन चलाया। दसवीं सदी के मध्य तक स्थानीय शासक स्वायत्त हो गए थे। इसके बाद पूर्व में ग़ज़नी और फिर ग़ोर के शासक, उत्तर-पश्चिम में सेल्जुक तुर्क और पश्चिम में मिस्र के शासक स्वतंत्र हो गए थे।
- सफ़वी वंश (सन् 1504 - 1736)
- अफ्शारी वंश (1736 -1760)
- कज़ार वंश (-)
- पहलवी वंश (-)