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[संपादित करें]यह वो इंसान है (पर्यावरण प्रेमी राणाराम बिश्नोई) जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंद्रा गाँधी भारत के राजनीति में आने के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया था I जिसके लिए सोना भी पत्थर है आपको यह बात सुनने मे अजीब और आश्चर्यजनक लग रही होगी लेकिन यह बात एकदम सत्य है धन दोलत शान-शोहरत को छोड़कर बस एक ही जुनून है पेड़-पोधो व वन्य जिवों की सेवा जो भगवान में भी विश्वास नही रखते हैं जिन्होने कभी जिंदगी मे किसी मंदिर मे प्रसाद तक नही चड़ाई और जिन्होने कभी किसी भी देवी देवताओ के सामने हाथ नही जोड़े Iजो कभी किस्मत को नही मानते Iबस गुरु श्री जंम्भेश्वर महाराज (बिश्नोई संप्रदाय के सस्थापक) को ही अपना गुरु मानते उन्हीं की शिक्षाओं पर चले I रेगिस्तान मे रेत के टीले जहां पत्थर भी नही टिकते वहा पर लाखो पेड़ लगा चुके है I बस ज़रूरत है इनको इनके निस्वार्थ भाव से किए गये कार्य के लिए सम्मानित करवाने की इनके कार्य को राष्ट्रीय स्तर पर लाने की ताकि दूसरे लोग भी प्रेरणा ले सके I राष्ट्रीय मीडिया के व्यक्तियोंं आपकी एक कोशिश राणाराम बिश्नोई को पूरी जिंदगी की मेहनत का फल दिला सकती है और उन्हें भारत रत्न भी दिला सकती है I इंडिया टुडे के हिंदी विशेषांक पर #राणाराम #बिश्नोई एकलखोरी जोधपुर को कवंर पेज पर जगह मिली राणाराम बिश्नोई ने रेगिस्तान में लाखों पेड़ पोधे लगाने का काम अकेले ही किया है वो खुद मटकीयों को अपने कधें पर उठा कर पेडों को पानी पिलाते है पेड़ पोधो को.................।। 1 जनवरी 2020 इडीया टुडे मैग्जीन
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